हम सभी ने कभी ना कभी तो सीसीडी में बैठकर कॉफी की चुस्कियां भरी ही है, अगर आपने इसकी कॉफी नहीं पी है तो कम से कम आपने इसका नाम तो जरूर सुना होगा.
सीसीडी यानी कि कैफे कॉफी डे भारत में अब काफी मशहूर हो चुका है और यह आज अपने आप में एक ब्रांड बन चुका है. लेकिन इसका यह सफर इतना आसान नहीं रहा है और सीसीडी की कॉफी की काफी दर्दनाक कहानी रही है.
सीसीडी की स्थापना का आईडिया सबसे पहले 1996 में कर्नाटक के रहने वाले वीजी सिद्धार्थ को आया था, लेकिन उस समय भारत में कॉफी का इतना चलन नहीं था इसलिए लोगों ने सिद्धार्थ को सलाह दी कि यह आइडिया अच्छा नहीं है.
बावजूद इसके वीजी सिद्धार्थ ने सीसीडी की स्थापना की और इसे मजबूती प्रदान करने के प्रयास किए. लोगों की अपेक्षाओं के विपरीत दो दशक में ही सीसीडी ने अच्छी तरक्की की और यह भारत की मुख्य कॉफी सर्विंग ब्रांड बन गई.
सफलता के साथ ही साथ सीसीडी पर भारी कर्ज भी हो गया और 2019 तक यह कंपनी 7000 करोड रुपए के कर्ज में डूब गई. इसी बात का सदमा शायद मालिक सिद्धार्थ सहन नहीं कर पा रहे थे और वी जी सिद्धार्थ ने 29 जुलाई 2019 को आत्महत्या कर ली, उनका शव 31 जुलाई को नेत्रवती नदी के पास बरामद हुआ था.
सिद्धार्थ की मौत के बाद जिम्मेदारी सारी उनकी पत्नी मालविका पर आ गई.एक तरफ पति की मौत का सदमा दूसरा कर्ज में डूबी कंपनी, मालविका के लिए यह काफी मुश्किल समय था. लेकिन ऐसे में भी उन्होंने हार नहीं मानी और उन्होंने ठान ली कि वह अपने पति की इस कंपनी को मिटने से बचाएंगी.
मालविका ने कमान अपने हाथ में ली और लगातार कंपनी की सुरक्षा के लिए मेहनत की. उन्होंने सीसीडी में काम करने वाले 25000 कर्मचारियों को खत लिखा जिसमें उन्होंने कहा कि वह अब सीसीडी की सुरक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध है और किसी को घबराने की आवश्यकता नहीं है.
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1 साल तक लगातार उन्होंने इस प्रोजेक्ट पर मेहनत करके काम किया और जुलाई 2019 तक 7000 करोड़ के कर्ज में डूबी कंपनी मार्च 2021 तक वापस बेहतर स्थिति में आ गई. इस वक्त वक्त कंपनी पर केवल 1779 करोड़ का कर्ज ही बाकी रह गया, जिस्म 1263 करोड़ का लॉन्ग टर्म कर्ज और 516 करोड का शार्ट टर्म कर्ज शामिल था.
मालविका हेगड़े का यह संघर्ष काफी सराहनीय है और भारतीय नारियों के लिए एक अच्छा संदेश है. इस बात में कोई अतिशयोक्ति नहीं है कि आज से सीसीडी के अस्तित्व की वजह केवल मालविका हेगड़े है वरना यह कंपनी शायद आज बंद हो चुकी होती. एक बार फिर सीसीडी अपनी सफलता के चरम पर है और वर्तमान में यह भारत के 165 शहरों के 572 कैफेस के जरिए कार्यरत है.