कुछ समय पहले चीन ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पॉपुलरिटी बटोरी थी जब उन्होंने दुनिया को बताया कि चीन ने अपना आर्टिफिशियल यानी कि कृत्रिम सूरज निर्मित किया है.
इस समय दुनिया कोरोना से छूटने के रास्ते ढूंढ रही थी वहीं चीन ने अपना सूरज बनाकर देश को एक मजबूत आधार प्रदान किया. अब चीन का कहना है कि उन्होंने आर्टिफिशियल सूरज के बाद अपना आर्टिफिशियल चांद भी बना लिया है.
रिपोर्ट्स के मुताबिक चीन ने इसका निर्माण कर लिया है और चीन का यह भी कहना है कि इस पर जीरो ग्रेविटी यानी कि शून्य गुरुत्वाकर्षण होगा. रिपोर्ट की मानें तो चीन का कहना है कि यह कदम दुनिया और चीन के लिए काफी फायदेमंद होगा क्योंकि इससे बिजली का खर्चा कम आ जाएगा.
बताया जा रहा है कि यह चांद 50 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है. इसकी वजह से सालाना 1.2 अरब युआन यानी कि लगभग 17.3 करोड़ डॉलर की बचत होगी. ग्लोबल टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक भविष्य में चुंबकीय शक्ति से चलने वाले तैयार किए जाने वाले यंत्रों में से नकली चांद पर चुंबकीय शक्ति की परख होगी.
यह कदम चांद पर मानव जीवन की शुरुआत करने के लिए उठाया जा रहा है. इससे ट्रांसपोर्टेशन के नए साधन खोजने में भी मदद मिलेगी. चीन यूनिवर्सिटी ऑफ़ माइनिंग एंड टेक्नोलॉजी के मुताबिक 2022 के अंत तक चीन 2 फीट व्यास वाला एक शक्तिशाली चुंबकीय शक्ति से चलने वाला वैक्युम चेंबर तैयार कर देगा.
इस वेक्यूम चैंबर में पत्थरों और धूल की सहायता से चांद जैसी सतह तैयार की जाएगी. चीन का कहना है कि यह टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में एक छोटा प्रयोग है जिसे बड़े स्तर पर करने की तैयारी की जा रही है. इस प्रयोग में चांद पर जीवन का परीक्षण किया जाएगा क्योंकि असल चांद में पृथ्वी के मुकाबले 6 गुना कम गुरुत्वाकर्षण है इसलिए मानव उस पर चल नहीं पाते.
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साथ ही चीज का यह भी कहना है कि यह ब्लैकआउट जैसी समस्याओं में भी टिका रहेगा यानी कि यदि कोई भीषण प्राकृतिक आपदा का भी सामना करना पड़े तो यह उस समय भी ब्लैक आउट नहीं होगा.
यह भूकंप जैसी स्थिति में भी रोशनी देगा, यदि इस पर 15 साल तक निवेश किया जाता है तो यह भविष्य में मुफ्त बिजली देगा जो कि एक सस्ता सौदा है. वर्तमान में दुनिया भर में बिजली के नए संसाधनों खोजने के लिए नई तकनीक अपनाई जा रही है और उसमें यह अहम होगा.