यूं तो आज हमारे बीच अनेक ऐसे दिव्यांगजन हैं जो अपनी किसी न किसी कौशल कला के कारण जिंदगी में एक अच्छा मुकाम हासिल कर सकते हैं लेकिन अभी शारीरिक दुर्बलता के कारण वह अपने आप को असहाय महसूस करते हैं और अपने कदम आगे बढ़ाने से डरते हैं.
लेकिन राजकोट के रहने वाले दिव्यांग 17 वर्षीय स्मिथ चंगेला की कहानी बिल्कुल अनोखी है. स्मिथ दिखने में अच्छे बने हैं लेकिन अपनी शारीरिक दुर्बलता के कारण वह अपने हाथ पैरों का प्रयोग करके कोई काम नहीं कर सकते. उन्हें हर दम एक सहारे की जरूरत होती है जो उन्हें उठा बिठा सकें.
और उनकी सर्वदा सारथी बनी रहती है उनकी मां, जो 24 घंटे अपने बेटे स्मिथ का ख्याल रखती है. उनकी मां का कहना है कि मेरा बेटा जब 3 महीने का था तभी उसकी न्यूरोलॉजिकल बीमारी का हमें पता लगा था और तब से लगाकर आज तक मेरा बेटा सिर्फ मुझ पर आश्रित है और मैं इस बात से दुखी नहीं हूं.
स्मिथ की मां ही उन्हें उठाती है, बिठाती है, खाना खिलाती है और उनको नहला कर उनके कपड़े बदलती है. वह उसे स्कूटी पर बिठाकर स्कूल ले जाती है और फिर हाथों में उठाकर क्लास तक छोड़ती है. स्मिथ की मां उसे कभी एहसास नहीं होने देती कि वह हिलने डुलने में असमर्थ है.
बावजूद इसके स्मिथ काफी होशियार और होनहार है. वह अपने हाथों से फोन नहीं चला सकता इसलिए वह नाक से टाइपिंग करता है, यह बात काफी खास है क्योंकि अगर हम नाक से टाइपिंग करते हैं तो हमें फोन में कुछ भी दिखाई नहीं देता. लेकिन स्मिथ इस कला में इतने माहिर हो चुके हैं कि उन्हें पता ही नहीं लगता कि वह हाथ से टाइपिंग कर रहे हैं कि नाक से.
अपने स्कूल की पढ़ाई के साथ ही साथ स्मिथ ने अपना एक ऑनलाइन कारोबार भी शुरू कर दिया है जिसमें वह कपड़े, घड़ियां और अन्य सामान बेचते हैं. इसके अलावा स्मिथ शेयर मार्केटिंग और स्टॉक का कारोबार भी करते हैं. उनका कहना है कि उन्होंने कुछ ही महीनों में अपने काम से 1 लाख का शुद्ध मुनाफा भी कमा लिया है.