तमाम नोक जोंक और ब’हस बाजी से हटकर भाई बहन का रिश्ता उम्र भर के लिए अटल होता है. इस बात में कोई दो राय नहीं है कि चाहे जो बात हो जाए लेकिन भाई बहन एक दूसरे के लिए सदैव समर्पित होते हैं. इसी बात का पुख्ता उदाहरण पेश किया है पिथौरागढ़ जिले के चमाली गांव में रहने वाले एक भाई ने.
जब भी डोली की बात होती है तो हमारे दिमाग में दुल्हन के लिए उठाए जाने वाली डोली की छवि उभर कर आती है. यह काम भी भाई ही करता है लेकिन आज जिस भाई के हम चर्चा करने जा रहे हैं उसने अपनी बहन की डोली शिक्षा के लिए उठाई.
दरअसल इस गांव में तीन भाई बहन वाला एक परिवार रह रहा है. यह सभी भाई-बहन अपनी पढ़ाई को लेकर काफी गंभी’र है. भाई का नाम पारस कोहली है जबकि बड़ी बहन का नाम सानिया है और छोटी बहन का नाम संजना है. पारस और सानिया 12वीं कक्षा में पढ़ रहे हैं जबकि संजना दसवीं बोर्ड की परीक्षा दे रही है.
इसीलिए उठाना पड़ी बहन की डोली! अपने भाई बहनों में सबसे छोटी संजना पढ़ाई में बहुत होशियार है लेकिन वह चल फिर पाने में असमर्थ है. इन बच्चों के पिता का 6 साल पहले निध’न हो गया था जिसके बाद परिवार का बोझ उनकी मां पर आ गया.
आप तीनो भाई बहन पढ़ाई कर रहे हैं और उम्मीद है कि वह जल्दी सक्षम हो जाएंगे. इस बार संजना का परीक्षा केंद्र चमोली गांव से 14 किलोमीटर दूर शैल कुमारी में बनाया गया है. परीक्षा देने के लिए तीनों भाई बहन ने लोधियागैर में एक कमरा किराए पर लिया है जहां से संजना को परीक्षा केंद्र तक ले जाने के लिए आधा किलोमीटर का रास्ता तय करना पड़ता है.
इसी स्थान से परीक्षा केंद्र तक ले जाने के लिए दोनों भाई बहन उसकी मदद करते हैं और उसे कंधों पर उठाकर लेकर जाते हैं. हम इन तीनों के समर्पण और प्रेम को प्रणाम करते हैं और उम्मीद करते हैं कि देश भर में सभी विद्यार्थियों की पढ़ाई के प्रति ही लगन हो साथ ही भाई बहनों के प्रति प्रेम भी सम्यक हो.