बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता मनोज बाजपेई आज किसी पहचान के मोहताज नहीं है. सच कहा जाए तो मनोज वाजपेई एक ऐसा नाम है जो संघर्ष की सच्ची कहानी दिखाता है. अभिनेता ऐसे नव युवकों के लिए एक उदाहरण है जो अभिनेता या अभिनेत्री बनने का सपना देखते हैं.
मूल रूप से बिहार के एक गांव में जन्मे मनोज बाजपेई बॉलीवुड स्टार बनने के लिए मुंबई आए थे लेकिन शुरुआती वक्त कुछ ऐसा था कि उन्हें लगातार रिजेक्शन मिल रहे थे.
अपने बचपन के बारे में बताते हुए मनोज ने एक बार कहा था कि ‘मैं एक किसान का बेटा हूं और बिहार के गांव में पांच भाई बहनों के साथ बड़ा हुआ. मैं झोपड़पट्टी वाले स्कूल में पढ़ा लेकिन 9 साल की उम्र में ही मुझे एहसास हो गया कि एक्टिंग में ही मेरी किस्मत है’.
काम नहीं मिलने के परेशान थे मनोज वाजपेई
समय बीता और अपने सपने साकार करने के लिए मनोज बाजपेई मुंबई पहुंचे लेकिन यहां भी उन्हें हर तरफ से रिजेक्शन मिलने लगे थे. उनकी आर्थिक स्थिति इतनी खराब हो चुकी थी कि एक वडापाव भी उन्हें महंगा लगने लगा था. आखिरकार मनोज बाजपेई के दिमाग में आत्महत्या करने का ख्याल आ गया.
Manoj bajpayee with his family pic.twitter.com/1Likhbw7Re
— news letter (@newslet83450621) May 16, 2022
मनोज की हालत के बारे में उनके करीबी दोस्तों को जानकारी थी और इसीलिए उन्हें कोई भी अकेला नहीं छोड़ता था. यहां तक कि उनके करीबी दोस्त उस वक्त तक भी मनोज के साथ थे जब तक उन्होंने बॉलीवुड में एक बेहतरीन नाम नहीं कमा लिया.
अपने संघर्ष के दिनों में मनोज बाजपेई ने आत्मह’त्या करने की कोशिश भी की थी लेकिन उनके करीबी दोस्तों ने उन्हें बचाया. इसके साथ ही उनका हर समय हौसला अफजाई किया ताकि वह आगे बढ़ सके. मुंबई आने के बाद लगातार 4 वर्षों के संघर्ष के बाद उन्हें महेश भट्ट के टीवी सीरियल ‘स्वाभिमान’ में एक छोटा सा रोल मिला था.
इस शो में उन्हें हर एपिसोड के लिए 1500 रुपए मिलते थे. इसके बाद उनका काम नोट किया गया और उन्हें पहली फिल्म ‘सत्या’ मिली. मनोज बताते हैं कि इस फिल्म के बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.