जब कोई बैंक डूब जाता है तो इसका सीधा असर बैंक के ग्राहकों पर पड़ता है। जिस पैसे को वह भविष्य के लिए इकट्ठा कर रहे होते है। उन पैसे को रखे हुए बैंक जब डूब जाते है तो व्यक्ति परेशानी में पड़ जाता है। ऐसी समस्या में वह लोग भी डर जाते है जिन्होंने दूसरे बैंकों में पैसे जमा कर रखे होते है।
अब केन्द्रीय सरकार ने एक तरह से इस डर को ख़त्म करने का काम किया है। केंद्र सरकार ने डिपॉजिट इन्शुरन्स एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन यानि की DICGC (Deposit Insurance and Credit Guarantee Corporation) एक्ट को मंजूरी दे दी है। 28 जुलाई को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केबिनेट की बैठक में संशोधन को हरी झंडी दी गयी है।
इसे बैंकों को ग्राहकों के लिए बहुत बड़ा फैसला माना जा रहा है। खास कर उन ग्राहकों के लिए यह फैसला बड़ा राहत भरा है जिनके बैंक अचानक डूब गए। पंजाब एवं महाराष्ट्र कॉर्पोरेटिव बैंक, येस बैंक और लक्ष्मी विलास बैंक के ग्राहकों की बात कर रहे है।
वित्त मंत्रालय से जुड़े सूत्रों ने पहले भी कहा था की डीआईसीजीसी (DICGC) नियम में बदलाव डूबे हुए बैंकों के जमा कर्ताओं के अधिक सहायता के लिए लाया जा रहा है। सूत्रों न कहा था कि पीएमसी (PMC) जैसे बैंकों से यह संकट पैदा हुआ है। जिसके कारण जमा कर्ताओं को परेशान नहीं किया जाना चाहिए।
जमा कर्ताओं के लिए एक प्राथमिकता होनी चाहिए जिसके कारण इस बिल में बदलाव लाया जाएगा। डीआईसीजीसी (DICGC), भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा नियंत्रित एक सब्सिडी कंपनी कह सकते है। यह बैंक जमा पर बीमा कवर उपलब्ध कराता है।
यह इस बात को सुनिश्चित करता है कि किसी बैंक के बर्बाद होने पर उनके जमा कर्ताओं को एक निश्चित राशि वापस की जाए। पहले बीमा राशि सिर्फ एक लाख रुपये थी। मोदी सरकार ने पिछले साल इसे बढ़ा कर 5 लाख रुपये कर दिया था।
नए संशोधन के आने के बाद यदि कोई बैंक डूब जाता है तो बीमा के तहत खाता धारकों को कुल 90 दिन की सीमा के अंदर-अंदर उनका पैसा मिल जाएगा। इस संशोधन के तहत सभी बैंक आएंगे फिर चाहे वह कमर्शियल हो या ग्रामीण बैंक।
इस संशोधन की जानकारी देते हुए वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि इस बिल को मंजूरी मिल गयी है। पहले नियम था कि जमा कर्ताओं को बीमा होने के बावजूद तब तक पैसा मिलता जब तक बैंक कई तरह की प्रक्रियाएँ पूरी न कर ले। इसके कारण ग्राहकों को लंबे समय तक पैसा नहीं मिल पाता था। लेकिन इस एक्ट में बदलाव होने के कारण ग्राहक राहत की सांस ले रहे है।