विश्व में सभी देश प्रदूषण की समस्या से जूझ रहे हैं. वायु प्रदूषण अपने चरम पर है. यदि वायु प्रदूषण के कारकों की बात की जाए तो वाहनों से निकलने वाला धुआं इसका मुख्य कारण है. ऐसा भी कह सकते हैं कि यदि दुनिया में वाहनों से धुंआ निकलना बंद हो जाए तो वायु प्रदूषण की समस्या से निजात पाई जा सकती है.
कोई देश इस दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रहे हैं. अमेरिका और यूरोप के देशों में इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग पर जोर दिया जा रहा है. इन देशों में 40% से भी ज्यादा इलेक्ट्रिक वाहन प्रयोग में लाए जाते हैं. कुछ कंपनी तो दावा कर रही है कि कुछ समय में वे केवल इलेक्ट्रिक वाहनों का ही निर्माण करेगी. पेट्रोल और डीजल से चलने वाली गाड़ियों का प्रचलन कुछ ही सालों में अमेरिका और यूरोप के देश देश बंद कर देंगे.
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भारत में प्रदूषण का स्तर दुनिया में कई देशों से अधिक है. ऐसा भी कह सकते हैं विश्व में फैले प्रदूषण में भारत की अपनी एक अहम भूमिका है. पश्चिम के देश लगातार भारत से आग्रह कर रहे हैं कि वह अपना वायु प्रदूषण का स्तर कम करें. ऊर्जा के नवीनीकरण संसाधन अपनाएं और इलेक्ट्रिक वाहनों का प्रचार करें. यदि भारत अपने वायु प्रदूषण के स्तर में सुधार लाता है तो यह दुनिया भर के वातावरण में एक बड़ा बदलाव होगा.
बेहद दुख की बात है कि दुनिया के 20 सबसे प्रदूषित शहरों में भारत के 19 शहर आते हैं. यानी कि दुनिया में सबसे ज्यादा वायु प्रदूषण फैलाने में भारत की अहम भूमिका है. एक सत्य यह भी है कि कोयला और अन्य ईंधन संसाधन ज्यादा लंबे समय नहीं चलने वाले, वह समय अब ज्यादा दूर नहीं जब कोयला और अन्य कई इंधन संसाधन समाप्त हो जाएंगे. ऐसे में यह आवश्यक है कि हमें ऊर्जा का कोई दूसरा मार्ग ढूंढना होगा.
कैसे बढ़ेगी भारत में इलेक्ट्रॉनिक वाहनों की रफ्तार?- भारत में वायु प्रदूषण चरम पर है और पश्चिम बार-बार इलेक्ट्रॉनिक वाहनों के उपयोग पर जोर दे रहा है. लेकिन हममें से ज्यादातर लोगों ने इलेक्ट्रॉनिक वाहनों का कभी उपयोग नहीं किया है ऐसे में उनके मन में कई प्रश्न उठते हैं. एक सुखद खबर है कि भारत में इस साल में 1.21 लाख से भी ज्यादा इलेक्ट्रॉनिक वाहनों की बिक्री हुई है इसका आशय यह हुआ कि भारतीय नागरिक इलेक्ट्रॉनिक उपयोग की ओर बढ़ रहे हैं.
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इलेक्ट्रॉनिक वाहन चलाने वाले उपभोक्ताओं से जब उनके अनुभव के बारे में बात की गई तो उन्होंने नागरिकों की सहायता के लिए अपने अनुभव साझा किए हैं. इलेक्ट्रॉनिक कार चलाने वाले एक व्यक्ति ने बताया वायु प्रदूषण की समस्या से निजात मिलेगी जिससे उत्तम स्वास्थ्य वातावरण का निर्माण होगा. इसके अलावा इलेक्ट्रॉनिक कार कोई आवाज नहीं करती और इसमें कोई कंपन भी नहीं होता.
इसमें किसी प्रकार का कोई इंजन नहीं है जिससे बार-बार ईंधन की आवश्यकता होगी इलेक्ट्रॉनिक कारों और अन्य वाहनों को सीधा चार्जिंग ही लगाना होता है. लेकिन लोगों के मन में चार्जिंग को लेकर बड़ी शंकाएं हैं! कई लोग सोचते हैं यह एक महंगा और माथाफोड़ी का सौदा होगा इसलिए हमारी पेट्रोल से चलने वाली गाड़ी ही बेहतर है.
इलेक्ट्रॉनिक कार कैसे होती है चार्ज?- हर इलेक्ट्रॉनिक कार में दो चार्जिंग पॉइंट की व्यवस्था होती है. एक होता है AC चार्जर जो गाड़ी को धीमे-धीमे चार्ज करता है और एक DC चार्जर जो गाड़ी को तुरंत चार्ज कर देता है. एक सामान्य DC चार्जर गाड़ी को आधे घंटे में 80% तक जारी कर देता है और तकरीबन 1 घंटे में गाड़ी कोई चार्ज हो जाती है. वही AC चार्जर थोड़ा ज्यादा समय लेता है 8 घंटे में पूरी गाड़ी को चार्ज कर सकता है.
सबसे खास बात यह है की कंपनी वाले खुद घर पर चार्जिंग सिस्टम लगा कर जाते हैं. उस चार्जिंग सिस्टम पर आप गाड़ी को चार्ज लगाएंगे और कुछ ही समय में आपकी गाड़ी रफ्तार पकड़ने को बिल्कुल तैयार होगी. गाड़ी को 15 एंपियर के सॉकेट से कहीं भी चार्ज किया जा सकता है. ज्यादातर गाड़ियों में चार्जिंग सिस्टम और गाड़ी की लगभग 8 से 10 साल की वारंटी भी पाई जाती है. इसलिए किसी भी खराबी की स्थिति में आप कंपनी से तुरंत संपर्क कर सकते हैं.
गाड़ी चार्जिंग में समस्या क्या है?- भारतीय जनता पेट्रोल और डीजल से चलने वाली गाड़ियों की आदी हो चुकी है उन्हें तुरंत इलेक्ट्रॉनिक वाहनों के उपयोग में डालना संभव नहीं है. इलेक्ट्रॉनिक वाहनों के लिए भारत में सबसे बड़ी चुनौती तो यह है जिस प्रकार से जगह-जगह पर पेट्रोल पंप पाए जाते हैं वैसे यहां पर चार्जिंग प्वाइंट नहीं है.
ज्यादातर लोगों के मन में तो यही शंका रहती है की यदि हमारी गाड़ी बीच रास्ते में डिस्चार्ज हो गई तो फिर हम क्या करेंगे? भारत सरकार धीमे धीमे जगह-जगह पर चार्जिंग स्टेशनों का निर्माण कर रही है, सरकार भी अपना निर्माण तभी बढ़ा पाएगी जब भारतीय नागरिक ज्यादा से ज्यादा इलेक्ट्रॉनिक वाहन उपयोग में लाएंगे.
इलेक्ट्रॉनिक गाड़ी की खरीदारी मैं एक समस्या यह भी है कि यह अपेक्षाकृत थोड़े महंगे होते हैं, तो लोग सोचते हैं कि हम क्यों अतिरिक्त पैसे खर्च करें जब हमें कम दाम में अच्छी गाड़ियां आसानी से उपलब्ध हो रही है.
क्या है विशेषज्ञों की राय?- विशेषज्ञों के अनुसार इलेक्ट्रॉनिक गाड़ियां भारत का सुनहरा भविष्य है. शुरुआती दौर में लोगों को ऐसा लग सकता है कि हमें गाड़ी खरीदने के लिए ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ते हैं लेकिन एक बार खरीदने के बाद यह आपके लिए बिल्कुल सस्ती हो जाएगी. इनको चलाने के लिए आपको पेट्रोल और डीजल वाली गाड़ी से बहुत कम पैसे खर्च करने पड़ेंगे. यदि पेट्रोल वाली गाड़ी को चलाने के लिए आपको ₹1 खर्च करना पड़े तो इलेक्ट्रॉनिक गाड़ी को चलाएं के लगभग आपको 25 पैसे ही खर्च करने पड़ेंगे. यानी कि सिर्फ एक चौथाई भाग में ही इसका रनिंग कॉस्ट चल जाएगा.
विशेषज्ञों के अनुसार यदि बैटरी वाली गाड़ी को चलाने के लिए 1 किलोमीटर में 1 रूपया खर्च करना पड़े तो हमें CNG की गाड़ी के लिए 3 रूपए, डीजल की गाड़ी के लिए 5 रूपए और पेट्रोल की गाड़ी के लिए 7 रूपए खर्च करने पड़ेंगे. यानी कि इलेक्ट्रॉनिक गाड़ी की रनिंग कॉस्ट पेट्रोल वाली गाड़ी से 7 गुना कम है.
यदि गाड़ी एक लाख किलोमीटर चलती है तो इलेक्ट्रॉनिक गाड़ी की लागत केवल 1 लाख ही आएगी जबकि पेट्रोल वाली गाड़ी की लागत लगभग 7 लाख आएगी. तो सोचिए एक बार थोड़ा सा ज्यादा खर्चा करने के बाद आप रोजाना के अतिरिक्त खर्चे से हमेशा के लिए बस जाएंगे. भारत सरकार के 2030 तक देश में कुल वाहनों का 50% हिस्सा इलेक्ट्रॉनिक वाहनों में बदलने का लक्ष्य तय किया गया है.
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इसके लिए जगह-जगह पर चार्जिंग स्टेशन भी विषय जा रहे हैं जिससे इलेक्ट्रॉनिक वहां उपयोग करने वाले लोग अपनी गाड़ी चार्ज कर पाएंगे. भारत में ऑटो सेक्टर विश्व में तीसरे नंबर पर है यानी कि भारत को यदि इसे इलेक्ट्रॉनिक करना है तो एक बड़े निवेश की आवश्यकता होगी. अनुमान के अनुसार इसमें लगभग 185 अरब डॉलर निवेश की आवश्यकता है. इतना बड़ा निवेश इतने कम समय में भारत जैसे राष्ट्र के लिए संभव नहीं है इसलिए हमें ज्यादा मात्रा में विदेशी निवेश की आवश्यकता होगी.
ऑटोमोबाइल कंपनियों के लिए भारत सरकार टैक्स भी काफी ज्यादा है. कार कंपनियों जैसे कि टेस्ला ने भी भारत सरकार से करो मैं छोड़ देने के लिए बार-बार गुजारिश की है. यदि विदेशी कंपनियां भारत में अपने प्लांट स्थापित नहीं करती हैं तो इलेक्ट्रॉनिक भारत का सपना अभी दूर है. सरकार करों में छूट देने के लिए भी मान जाए लेकिन देश की कई कार कंपनियां इसके सख्त खिलाफ है.यदि देश में बाहरी कंपनियां स्थापित होंगी तो भारतीय कंपनियों को नुकसान उठाना पड़ सकता है.
विश्व रिपोर्ट्स के अनुसार 2040 तक विश्व में हर कार इलेक्ट्रॉनिक कार बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है., विश्व के कई देश इस राह पर चल पड़े हैं लेकिन भारत जैसे विकासशील राष्ट्र के लिए यह एक बड़ी चुनौती है, अब देखना यह है कि भारतीय नागरिक किस हद तक वायु प्रदूषण कम करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक कार को आजमाते हैं!