धनतेरस के बाद मनायी जाने वाली रूप चतुर्दशी अत्यंत महत्वपूर्ण त्योहार है. जिसे छोटी दीपावली भी कहा जाता है. धनतेरस के दिन हम भगवान धन्वंतरी, महालक्ष्मी और कुबेर महाराज से जहां धन प्राप्ति की प्रार्थना करते हैं वही रूप चतुर्दशी के दौरान हम रूपवान होने के लिए ईश्वर से प्रार्थना करते हैं.
इस आशय यह नहीं हुआ कि रूप चतुर्दशी के दूसरे ही दिन आपका चेहरा बिल्कुल बदल जाएगा और आप अचानक से ही बहुत गोरे चिट्टे दिखने लगेंगे. रूप चतुर्दशी हमारे आंतरिक और बाह्य स्वरूप को बढ़ाने के लिए मनाया जाता है. इससे आपके चेहरे पर एक अनोखी चमक बढ़ जाएगी साथ ही आप में सकारात्मक ऊर्जा का भी प्रवाह होगा.
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जानिए कैसे किया जाता है रूप चतुर्दशी का महा स्नान?-
रूप चतुर्दशी के महादान की परंपरा श्री कृष्ण ने प्रारंभ की थी. इन्होंने इस दिन नरकासुर नामक एक राक्षस का वध करके तेल से स्नान किया था, जिसके बाद से ही इस दिन महा स्नान की परंपरा प्रारंभ हुई. इसके लिए आवश्यक है कि आप ब्रह्म मुहूर्त में उठ जाए, वैसे धनतेरस के साथ ही आपको ब्रह्म मुहूर्त में उठना प्रारंभ कर देना चाहिए. ब्रह्म मुहूर्त में उठकर आप अपने नित्यक्रम कर ले एवं उसके पश्चात स्नान करें. स्नान करने के लिए आप एक उबटन तैयार करें, जो 5 सामान्य तत्वों से तैयार होगी.
क्या है वे पांच तत्व?- रूप चतुर्दशी के स्नान के लिए आप एक कटोरी में थोड़ा बेसन, थोड़ी हल्दी, सरसों का तेल, नींबू का रस और दूध मिलाकर उसकी एक उबटन तैयार कर ले. इस उबटन को अपने शरीर पर रगड़ कर स्नान करें. स्नान के पश्चात आप सरसों के तेल से अथवा अन्य किसी सामान्य तेल से अपने पूरे शरीर पर मालिश करें.
स्नान के पश्चात आप श्री कृष्ण की पूजा अवश्य करें, यदि आपके पास श्री कृष्ण की प्रतिमा नहीं है तो आप कुछ मिनट के लिए उन्हें याद करें. सुबह-सुबह भगवान से आशीर्वाद लेने के बाद अब स्वयं ही देख पाएंगे कि आपके शरीर में इतनी सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है. रूप चतुर्दशी या छोटी दीपावली के दिन आपको यह भी ध्यान रखना है कि आपको धनतेरस से ज्यादा दिये इस दिन जलाने हैं.
मित्रों यदि धनतेरस से लगाकर गोवर्धन पूजा तक के त्योहार को विधि विधान और संपूर्ण श्रद्धा से मनाया जाए तो महालक्ष्मी सहित अन्य देवता आप पर प्रसन्न होते हैं. आपके घर परिवार में खुशहाली छाने लगती है और समय के साथ आपके धन में भी वृद्धि होती है. जीवन में कम से कम एक बार संपूर्ण विधि विधान से दीपावली का पूरा त्योहार मना कर देखें परिवर्तन आप स्वयं ही देख पाएंगे.