अपनी खूबसूरती और कलाकारी से सिनेमा जगत में बहुत कम समय में अपनी पहचान बनाने वाले “प्रिया राजवंश” करोड़ों दिलों की धड़कन बन गयी थी. अब प्रिया राजवंश की गिनती उस दौर की सबसे सफलतम अभिनेत्रियों में होने लगी. इसी बीच उनकी मुलाकात उस समय के दिग्गज फिल्मकार “चेतन आनंद” से हुई. चेतन देवानंद के बड़े भाई थे और अपने दौर के सबसे सफलतम फिल्मकार थे. चेतन आनंद ने उस दौर की सफलतम फिल्में जैसे हकीकत, हीर रांझा, टैक्सी ड्राइवर, नीचा नगर, हंसते जख्म, कुदरत और हिंदुस्तान की कसम जैसी फिल्में बनाई थी.
चेतन आनंद पहले शादीशुदा थे लेकिन बाद में उनका अपनी पत्नी से तलाक हो गया था. वीरान और उदास चेतन आनंद ने जब प्रिया को देखा तो वह उसे देखते ही रह गए. पहले ही नजर में चेतन को प्रिया बेहद पसंद आ गई थी. अब चेतन दिन-रात केवल प्रिया के सपने देख रहे थे, चेतन के इस समर्पित प्रेम को देखकर प्रिया ने भी अपने से 22 साल बड़े चेतन को अपना लिया. हालांकि प्रिया ने चेतन से शादी नहीं की थी.
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भारत में उस दौर में लिव इन रिलेशन का चलन नहीं था लेकिन फिर भी चेतन और प्रिया हमेशा साथ रहते थे. प्रिया चेतन के घर में ही रहा करती थी. शादी ना करने के बावजूद भी प्रिया चेतन का एक पत्नी की तरह ही ख्याल रखती थी, और चेतन को भी प्रिया के अलावा कुछ और नहीं चाहिए था. चेतन के दो बेटे थे जिसमें से बड़े बेटे का नाम केतन आनंद और दूसरा विवेक आनंद, इन दोनों बेटों के साथ प्रिया चेतन के घर में रहा करती थी.
इस पर उनके छोटे भाई देव आनंद ने कहा था की प्रिया के उनके भाई की जिंदगी में आने से उनके भाई की जिंदगी में खुशियां भर गई है और वे बेहद खुश हैं. दोनों एक दूसरे के लिए इतने समर्पित हो चुके थे कि अब प्रिया सिर्फ चेतन आनंद की फिल्मों में ही काम करती थी, चेतन आनंद के अलावा किसी और के साथ काम करना पसंद नहीं करती थी. हालांकि प्रिया के इस कदम से उस दौर के लोगों ने प्रिया के बारे में काफ़ी आलोचनात्मक बातें कही थी.
चेतन आनंद ने जब दे दिया प्रिया को अपनी जायदाद में हिस्सा:- शादी नहीं होने के बावजूद भी सालों तक दोनों एक दूसरे के साथ बने रहे थे. जिसके बाद चेतन आनंद ने प्रिया को अपनी जायदाद में से आधा हिस्सा दे दिया था, हालांकि प्रिया के पास भी अच्छी खासी जायदाद थी. लेकिन फिर भी चेतन आनंद ने प्रिया को अपनी प्रॉपर्टी का आधा हिस्सेदार बना दिया था. प्रिया के बारे में यह कहा जाता है कि अगर उन्होंने उस समय चेतन से जायदाद लेने से मना कर दिया होता तो शायद आज वह जिंदा होती.
1997 में चेतन आनंद की मौत हो गई. जिसके बाद प्रिया चेतन की विरासत में मिले बंगले में ही रह रही थी. इसी बंगले में पहले हर कोई प्रिया की बात मानता था, लेकिन अब चेतन के जाने के बाद यहां प्रिया से कोई बात करना भी पसंद नहीं करता था. यहां तक कि घर के नौकर प्रिया को खाना भी लाकर नहीं देते थे, कोई भी प्रिया की बात नहीं मानता था.
परेशान होकर प्रिया ने अपनी बुरी स्थिति में अपने परिवार और अपने कई दोस्तों को पत्र भी लिखे थे. प्रिया के दोस्त बताते हैं की प्रिया उस समय बेहद बुरी स्थिति में थी, एक तरफ तो उन पर मानसिक तनाव था दूसरी तरफ से उन्हें पैसों की भी तंगी चल रही थी. इसी वजह से प्रिया चेतन आनंद के बंगले में से अपना हिस्सा बेच देना चाहती थी. इस बात की खबर जब चेतन के बेटों को लगी तो उन्होंने इस बात पर खूब जगड़े मचा दिये.
आखिरकार 27 मार्च 2000 को मुंबई के जुहू में स्थित चेतन आनंद के बंगले में प्रिया की लाश पड़ी मिली. चेतन आनंद के दोनों बेटों ने मिलकर प्रिया की हत्या कर दी थी, उन्होंने प्रिया की गर्दन दबा कर उसके सर पर जोरदार प्रहार किया था. जिसके बाद उसकी मौत हो गई थी, इस हत्याकांड में घर के दो नौकर भी सम्मिलित थे. सभी पर मुकदमा चलाया गया और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. जिसके बाद मुकदमा लंबा चला और जुलाई 2002 में सभी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई. लेकिन नवंबर 2002 में सभी को जमानत पर रिहा कर दिया गया था.