14 अगस्त 1947 की रात को भारत-पाकिस्तान का बंटवारा हो गया था, रात 12:00 बजे के बाद भारत के आजाद मुल्क की आधिकारिक घोषणा हुई थी इसलिए हम अपना स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त को मनाते हैं, वहीं पाकिस्तान के आजाद मुल्क की आधिकारिक घोषणा 14 अगस्त की रात को ही हो गई थी. भारत का पाकिस्तान और भारत का विभाजन हिंदू और मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र के आधार पर हुआ था.
वर्तमान में पाकिस्तान के इलाके में उस समय मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र था इसलिए उन्होंने उस जगह को चुना, जबकि हिंदुस्तान की तरफ हिंदू बाहुल्य क्षेत्र था इसलिए यहां पर हिंदुस्तान बसाया गया. आजादी से पहले भी भारत में कई छोटी-मोटी रियासतें और राजघराने थे. जहां पर कई ठाकुर और राजा अपनी हुकूमत चलाया करते थे. जब भारत पाकिस्तान का बंटवारा हुआ था तो इन ठाकुरों और राजाओं को यह आजादी थी कि वह अपनी इच्छा से अपने देश का चुनाव कर सकते हैं.
जिनमें ज्यादातर राजाओं और ठाकुरों ने हिंदुस्तान में शरीक होना पसंद किया था, इसलिए भारत की तरफ रजवाड़ों का रुख ज्यादा था. इसी बात से भयभीत होकर मोहम्मद अली जिन्ना पाकिस्तान क्षेत्र में आने वाले राजाओं और ठाकुरों से पाकिस्तान में शरीक होने के लिए बातचीत करने लगे थे. उन्होंने ऐसे राजाओं और ठाकुरों को प्रार्थना और कई बड़े लालच दिए थे.
लेकिन अधिकतर राजा मोहम्मद अली जिन्ना के इन लालच और प्रार्थना में नहीं आए थे और उन्होंने भारत में शरीक होना पसंद किया था. जबकि पाकिस्तान क्षेत्र में एक ऐसा राजा भी था जिसने मोहम्मद अली जिन्ना की बात मान ली थी और उसने पाकिस्तान में रहने के लिए अपनी रजामंदी दे दी. इस राजा का नाम था “राणा अर्जुन सिंह”. राजा अर्जुन सिंह उस समय अमरकोट के राजा थे, जिस का वर्तमान नाम उमरकोट है.
अमरकोट उस समय के भारत का एक महत्वपूर्ण इलाका था. अमरकोट का अपना एक ऐतिहासिक महत्व था इसके अलावा मुगल राजा अकबर का जन्म भी अमरकोट में ही हुआ था. मोहम्मद अली जिन्ना ने राणा अर्जुन सिंह के सामने एक बड़ा प्रस्ताव रखा था, मोहम्मद अली जिन्ना ने कहा कि “यदि राणा अर्जुन सिंह आप पाकिस्तान में शरीक होते हैं तो आपको पाकिस्तान सरकार में लंबे समय तक एक महत्वपूर्ण हिस्सेदारी दी जाएगी.
इसके अलावा पाकिस्तान के आधिपत्य में आने वाले बंदरगाहों में भी आपको हिस्सेदारी दी जाएगी”. राणा अर्जुन सिंह मोहम्मद अली जिन्ना की इस बात से प्रभावित हो गए और उन्होंने पाकिस्तान में शरीक होने का फैसला कर लिया. विभाजन के समय राणा अर्जुन सिंह एकमात्र ऐसे हिंदू शासक थे जिन्होंने पाकिस्तान में शरीक होने का फैसला किया था.
विभाजन के बाद “राणा अर्जुन सिंह” के खानदान का पाकिस्तान पर क्या प्रभाव रहा?– अपने वादे के अनुसार मोहम्मद अली जिन्ना ने राणा अर्जुन सिंह को पाकिस्तानी हुकूमत में एक बड़ी हिस्सेदारी दी थी. राणा अर्जुन सिंह(Rana Arjun Singh) ने लगातार कई सालों तक पाकिस्तान की राजनीति में सबसे अहम भूमिका निभाई थी. इसके अलावा उन्हें बंदरगाह भी मिल गए थे. राणा अर्जुन सिंह का लगातार 1970 तक पाकिस्तानी राजनीति पर वर्चस्व था, लेकिन 1970 में ही उनकी मृत्यु हो गई.
राणा अर्जुन सिंह की मृत्यु के बाद अगला राजा “राणा चंद्र सिंह”(Rana Chander Singh) को बनाया गया. राणा चंद्र सिंह भी पाकिस्तानी राजनीति में शरीक हुए और उन्होंने लगातार कई मंत्री पद ग्रहण किए थे. राणा चंद्र सिंह कुल 7 बार मंत्री पद पर बैठे थे. राणा चंद्र सिंह पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो के बेहद खास माने जाते थे. कई वर्षों तक “पाकिस्तान पीपल पार्टी” में अपनी अहम भूमिका निभाने के बाद राणा चंद्र सिंह ने अपनी एक अलग पार्टी बनाने का ऐलान कर दिया था.
जिसके बाद उन्होंने पाकिस्तान में “पाकिस्तान हिंदू पार्टी”(Pakistan Hindu Party) का गठन किया था. नाम के अनुसार उन्होंने पार्टी का चुनाव चिन्ह भी केसरिया झंडा रखा था. राणा चंद्र सिंह 2010 तक पाकिस्तानी राजनीति का मुख्य चेहरा थे लेकिन 2010 में राणा चंद्र सिंह की भी मृत्यु हो गई. राणा चंद्र सिंह की मृत्यु के बाद अगला राजा उनके बेटे “राणा हमीर सिंह” को बनाया गया. राणा हमीर सिंह वर्तमान में मौजूद है, और अमरकोट यानी उमरकोट के वर्तमान राजा है.
राणा हमीर सिंह अपने पिता की बनाई हुई “पाकिस्तान हिंदू पार्टी” में सम्मिलित हैं. अपने खानदान की परंपरा के अनुसार राणा हमीर सिंह भी पाकिस्तानी राजनीति में अहम भूमिका निभाते हैं. 1990 के बाद राणा हमीर सिंह कई बार मंत्री और सांसद रह चुके हैं. राणा हमीर सिंह ने अगला राजा अपने बेटे “कंवर करणी सिंह” को घोषित किया हुआ है, इसलिए कंवर करणी सिंह अमरकोट के मौजूदा युवराज है.
वर्तमान भारत के दामाद है “कंवर करणी सिंह”- आपको यह सुनकर आश्चर्य होगा कि कंवर करणी सिंह ने भारत में शादी की है. कंवर करणी सिंह की शादी 2015 में राजस्थान के एक ठाकुर राजघराने में हुई है. उनकी शादी 2015 में राजस्थान के एक ठाकुर मानसिंह की बेटी पद्मिनी राठौर से हुई थी. करणी सिंह की तरफ से पाकिस्तान से 100 से ज्यादा शाही मेहमान शामिल हुए थे, जबकि ठाकुर मानसिंह ने हजारों लोगों को इस शादी का न्योता दिया था.
रिपोर्ट्स के मुताबिक राणा अर्जुन सिंह का यह शाही परिवार पाकिस्तान का सबसे अमीर परिवार है. इनके पास एक से एक लग्जरी गाड़ी और बड़े-बड़े बंगले हैं. जानकारी के मुताबिक राणा अर्जुन सिंह के खानदान की कुल संपत्ति दो लाख करोड़ से भी ज्यादा है. अमरकोट रियासत के आसपास के क्षेत्र के अलावा भी एक बड़े क्षेत्र में इस खानदान का दबदबा है. इनके शाही अंदाज के लोग कायल हैं. बरहाल अमरकोट वह इलाका है जहां पाकिस्तान में सबसे ज्यादा हिंदू आबादी निवास करती है. यह पाकिस्तान का एकमात्र हिंदू बहुल क्षेत्र है, लेकिन हिंदुओं के अलावा भी राणा अर्जुन सिंह के परिवार की पाकिस्तान में गहरी पैठ है.