फिल्म पद्मावत में अलाउद्दीन खिलजी को एक पागल प्रेमी की तरह दिखाया जाता है. इस वजह से अलाउद्दीन खिलजी की लोगों के बीच में एक प्रेमी की भांति छवि बन गई है. यह बात सच है की अलाउद्दीन खिलजी ने मेवाड़ पर आक्रमण किया था लेकिन क्या उसने आक्रमण केवल रानी को पाने के लिए किया था?
इस बात की जानकारी इतिहास के पन्नों में स्पष्ट नहीं है की अलाउद्दीन ने केवल रानी पद्मावती को निशाना बनाकर आक्रमण किया था. इसकी जानकारी केवल कवि जायसी की रचना “पद्मावत” में मिलती है. आइए अलाउद्दीन खिलजी के बारे में इसके अलावा की अतिरिक्त जानकारी प्राप्त करते हैं.
अलाउद्दीन खिलजी दिल्ली सल्तनत का खिलजी वंश का शासक था. उसका जन्म उस समय के बंगाल में हुआ था. अलाउद्दीन जलालुद्दीन खिलजी का भतीजा था और उसका दामाद भी था. क्योंकि अलाउद्दीन ने जलालुद्दीन की बेटी मलिका-ए- जहां से शादी की थी. बाद में अलाउद्दीन 1296 में अपने चाचा जलालुद्दीन को मारकर गद्दी पर बैठा. इस घटना से इतना स्पष्ट हो जाता है की अलाउद्दीन कितना महत्वकांक्षी और उग्र था!
अलाउद्दीन ने अपने आपको सिकंदर द्वितीय या सानी कहा था. इसका मतलब वह अपने आप को सिकंदर जितना श्रेष्ठ समझता था. दिल्ली सल्तनत पर उसने कुल 1296 से 1316 तक शासन किया था. अपने शासनकाल में उसने अपने साम्राज्य को अफगान से लगाकर उत्तर मध्य भारत तक बढ़ा दिया था. स्वभाव से बेहद उग्र और क्रूर अलाउद्दीन खिलजी का दक्षिण भारत में भी खौफ था.
उसने अपने दरबार में अमीर खुसरो और हसन निजामी जैसे कवियों को आश्रय दिया था. अलाउद्दीन नहीं अलाई दरवाजा और कुश्क-ए-शिकार का निर्माण करवाया था. अलाउद्दीन ने ही सबसे पहले यह प्रथा लगाई थी की लगान राजस्व का आधा लगाया जाएगा. इससे पहले लगान मनमाने ढंग से वसूला जाता था. इसके अलावा अलाउद्दीन खिलजी ने ही सर्वप्रथम अपनी सेना की पोशाक निश्चित की थी और एक प्रशिक्षित फोज तैयार की.
कई क्षेत्र जीतने के बाद अलाउद्दीन खिलजी ने दिल्ली सल्तनत को मंगोल आक्रमणों से बचाया था. इसीलिए अलाउद्दीन का नाम बहादुर शासकों की सूची में शामिल है. ऐसी जानकारी मिलती है की अलाउद्दीन खिलजी के हरम में 70000 महिला पुरुष और बच्चे थे. कुछ इतिहासकार बताते हैं की अलाउद्दीन खिलजी समलैंगिक था. इसीलिए उसने अपने दरबार में मलिक काफूर को पनाह दे रखी थी जिसे हजार दिनार का हिजड़ा भी कहा जाता था. क्योंकि उसे अलाउद्दीन खिलजी ने हजार दिनारों में खरीदा था. बताया जाता है कि अलाउद्दीन खिलजी के उससे संबंध थे. जो भी हो लेकिन मलिक काफूर अलाउद्दीन का बेहद करीबी था और हर युद्ध में उसने अलाउद्दीन की सेना का नेतृत्व किया था.
लेकिन अपने आप को सिकंदर समझने वाले अलाउद्दीन ने जिस मलिक काफूर को अपने सबसे करीबी समझा उसी ने अलाउद्दीन का नाश किया. बताया जाता है कि 1316 में मलिक काफूर ने अलाउद्दीन को धोखे से किला बंद कर लिया और उसकी गद्दी पर कब्जा कर लिया. इसके अलावा उसने अलाउद्दीन के सामने उसके बेटे की तलवार से आंखें निकाल दी.
ऐसा भी बताया जाता है कि अंतिम समय में अलाउद्दीन को पूरे शरीर पर कोढ़ हो गई थी. जिसके बाद उसका निधन हो गया और कुछ दिन के लिए मलिक काफूर गद्दी पर आसीन हुआ लेकिन बाद में उस पर तुगलक वंश का कब्जा हो गया.