हर वर्ष भारत में 1500 से ज्यादा फिल्में बनाई जाती है. पूरी दुनिया में भारत हर वर्ष सबसे ज्यादा फिल्में बनाता है. अकेले भारत में फिल्म बनाने के लिए कई इंडस्ट्रीज है जैसे बॉलीवुड, टॉलीवुड आदि. जबकि पूरी दुनिया में मिलाकर भी भर जितनी फिल्में नहीं बनती है.
बावजूद इसके किसी भारतीय डायरेक्टर द्वारा निर्देशित किसी भी फिल्म को ऑस्कर पुरस्कार नहीं मिला है. स्लमडॉग मिलेनियर, गांधी जैसी फिल्मों को ऑस्कर मिला है लेकिन वह किसी भारतीय द्वारा निर्मित नहीं है. भारत में अब तक कुल 5 लोगों को ऑस्कर पुरस्कार मिला है.
फिल्म जगत में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सबसे बड़ा सम्मान ऑस्कर अवार्ड पाना हर फिल्म और हर फिल्म अभिनेता के लिए एक गर्व की बात है. हर कोई अभिनेता यही चाहता है कि उसकी फिल्म ऑस्कर पुरस्कार जीत जाए. अमेरिका में एकेडमी ऑफ मोशन पिक्चर्स आर्ट एंड साइंस द्वारा दिए जाने वाला ऑस्कर पुरस्कार एक बड़ा सम्मान है जिसके चलते किसी भी अभिनेता या फिल्म को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक अलग ही ख्याति मिल सकती है.
1957 में आई फिल्म मदर इंडिया भारतीय फिल्मों में से ऑस्कर के सबसे करीबी फिल्म मानी गई है. यह फिल्म केवल 1 वोट से यह पुरस्कार पाने से चूक गई थी. जिसके बाद 1988 में आई फिल्म सलाम मुंबई और 2001 में आई फिल्म लगान को ऑस्कर के लिए दावेदार माना जा रहा था.
उसके बाद फिल्म बर्फी को भी ऑस्कर के लिए प्रबल दावेदार माना गया लेकिन फिल्म में चार्ली चैपलिन की कॉपी की गई थी इसलिए उसे यह पुरस्कार नहीं मिल सका. 1957 से 2012 तक कुल 45 फिल्में ऑस्कर के लिए भेजी गई थी जिसमें से कुल 30 फिल्में केवल बॉलीवुड की थी.
समस्या है की इन फिल्मों में एक छोटे से ट्विस्ट और हीरो हीरोइन के प्यार के अलावा कुछ दूसरा नहीं दिखाया जाता. ज्यादा से ज्यादा फिल्मों में एक विलन होता है जो अपनी हरकतों से हीरो को परेशान करता है. पुरस्कार नहीं जीतने का दूसरा बड़ा कारण यह भी है कि बॉलीवुड के जाने-माने चेहरे केवल अपनी पसंद की फिल्मों को है आगे भेजते हैं.
कई फिल्में अच्छी होने के बावजूद आगे नहीं जा पाती. कुल मिलाकर एक दूसरे के साथ किया गया भेदभाव और अपनी मनमर्जियां और घिसी-पीटी कहानियां ही वह असली वजह है जिसके कारण भारतीय फिल्म में संख्या ज्यादा होने के बावजूद कोई अच्छा खिताब हासिल नहीं कर पाती.