एक किसान के दुख दर्द का शायद हम अंदाजा नहीं लगा सकते, हर मौसम की मार झेलते हुए किसान लगातार बेहतर फसल के लिए डटा रहता है और कोशिश करता है कि किसी भी प्रकार से वह खेतों में बढ़िया फसल उपजा सके. लेकिन अगर किसान की वह जमीन ही नीलाम होने लगे तो शायद इससे बुरा उसके लिए कुछ नहीं होगा.
किसान की जमीन नीलामी से संबंधित एक मामला हाल ही में राजस्थान से सामने आया है जिसमें मामले की गंभीरता को देखते हुए उस पर रोक लगा दी गई. नीलामी की प्रक्रिया 13 और 14 जनवरी को होनी थी. यहां पीड़ित परिवार की कहानी इतनी दुख भरी है कि शायद हर किसी की आंखों में आंसू आ जाए.
यह कहानी है राजस्थान के अलवर के थानागाजी क्षेत्र में रहने वाले किसान की. थानागाजी निवासी मंगलाराम ने 2010 में यहां की बड़ौदा क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक से 1.44 लाख रुपए का कर्ज लिया था. कारणवश यह परिवार कर्ज नहीं चुका पाया और कुछ समय बाद मंगलाराम की मौत हो गई.
जिसके बाद अब इस लोन की कुल रिकवरी मूल्य 6.71 लाख रुपए तय किया गया था. लोन की रिकवरी लेने के लिए बैंक ने मंगलाराम की पत्नी सरसा देवी की 15 बीघा जमीन नीलाम करने का फैसला कर दिया. अब मंगलाराम के बेटे जयराम को या तो इस लोन की धनराशि चुकानी थी या फिर अपनी जमीन नीलाम करनी थी.
लेकिन जयराम की परिस्थिति काफी ज्यादा खराब है क्योंकि उनका एक बेटा डेढ़ साल पहले हैदराबाद आर्मी कैंप में शहीद हो गया. जिस वजह से पूरे परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट गया. केवल इतना ही नहीं उनका दूसरा बेटा गोपाल कैंसर से पीड़ित है जबकि तीसरा बेटा दिव्यांग है और उसका शरीर लकवा ग्रस्त है.
इस परिवार के पास जमीन के अलावा कमाई का अन्य कोई साधन नहीं है. लेकिन फिर भी उनकी जमीन को नीलाम करवा दिया गया. हालांकि एयर मौके पर इस परिवार ने कोशिश करके सारा कर्जा चुका दिया लेकिन फिर भी नीलामी की प्रक्रिया कर दी गई. बाद में मामले की गंभीरता को देखते हुए नीलामी पर रोक लगा दी गई लेकिन परिवार को जमीन के कागज वापस नहीं सौंपे गए हैं.