हम सभी ने कभी ना कभी तो तीस मार खान का नाम जरूर सुना है. कई लोगों ने बचपन में कई बार तीस मार खान पर जुड़ी हुई कहानियां भी जरूर पढ़ी होगी. गानों में भी तीस मार खान का अक्सर जिक्र होता आया है, इसीलिए आज हम जानते हैं कि आखिर तीस मार खान कौन था? आज हम तीस मार खान के बारे में पढ़ेंगे जिसकी काफी दिलचस्प कहानी है.
मित्रों ऐसा बताया जाता है कि तीस मार खान एक गरीब परिवार से तालुकात रखता था. उसके परिवार में केवल उसकी बूढ़ी मां थी. कुछ समय तक तीस मार खान की मां ने जैसे तैसे गुजारा चलाया लेकिन जब उसका बेटा बड़ा हो गया तो मां ने उसे कहीं जाकर कामकाज करने के लिए कह दिया. तीस मार खान काफी अच्छी कद काठी का था और हट्टा कट्टा दिखता था.
जब वह काम की तलाश में शहर की ओर निकला तब उसकी मां ने उसे चार मीठे पराठे बना कर दिए. कुछ देर चलने के बाद जब उसे भूख लगी तो वह रास्ते में बैठकर पराठे खाने लगा, लेकिन मीठे पराठे होने के कारण उन पर मक्खियां हो गई. उसे यह देख कर गुस्सा आया और उसने एक-एक करके सारी मक्खियां मार दी, बाद में उसने गिना तब पता चला कि उसने एक ही बार में कुल 30 मक्खियां मार दी. इस बात से उसे आनंद महसूस होने लगा और उसने अपना नाम तीस मार खान रख लिया.
इसके बाद वह शहर की दुकान पर पहुंचा तो उसने दुकानदार से कहा कि उसने युद्ध में 30 लोगों को मार दिया है, उसने नहीं बताया कि उसने सिर्फ मक्खियां मारी थी. दुकानदार ने उसकी कद काठी देखकर इस बात पर विश्वास कर लिया. कुछ ही समय में यह बात राजा तक भी पहुंच गई की तीस मार खान नाम के एक व्यक्ति ने 30 लोगों को एक साथ युद्ध में मार दिया.
कुछ ही समय में शहर में एक शेर तहलका मचा है लगा, लोग डर के मारे घरों में छुपने लगे. इस वजह से राजा ने तीस मार खान को दरबार में बुलाया और कहा कि तुम बहादुर हो इसलिए शेर को पकड़ कर लाओ. तीस मार खान झूठ बोल रहा था लेकिन राजा के सामने उसकी कुछ चल भी नहीं सकती थी.
हाथ में बंदूक लिए तीस मार खान जंगल की ओर गया और उसने शेर को लुभाने के लिए खूंटे से एक गधे को बांध दिया. ऊपर पेड़ पर चढ़कर तीस मार खान शेर का इंतजार करने लगा लेकिन शेर नहीं आया. तभी बारिश का मौसम बन गया और तीस मार खान ने देखा कि एक कुम्हार बारिश की वजह से फटाफट अपनी बनाई हुई मटकीयां अंदर रख रहा था.
तीस मार खान ने कुमाहर से कहा कि जल्दी अंदर चले जाओ वरना शेर आ जाएगा, इस पर कुमाहर ने बोला कि वह शेर से नहीं डरता बल्कि टपके से डरता है. यह बात झोपड़ी के पीछे बैठे हुए शेर ने सुनी और उसे लगा कि टपका कोई जानवर है, तीस मार खान तभी टपका टपका चिल्लाने लगा और उसने शेर को भयभीत कर दिया.
भयभीत शेर को उसने हाथों-हाथ ही बंदी बनाया और राज महल ले आया. उसमें शेर को पकड़ा तो छल से था लेकिन राजा को लगा कि वह काफी बहादुर है, इस वजह से राजा ने उसे सेना का सेनापति बना दिया.
इस बात को कुछ ही दिन बीते थे कि उस राज्य पर आक्रमण हो गया. जब दूसरी सेना राज्य पर चढ़ाई करने लगी तो तीस मार खान दुश्मनों की तरफ घोड़े पर सवार होकर युद्ध स्थल की ओर चला. उसे ना तो घोड़ा सवारी आती थी और ना ही युद्ध कला इसलिए उसने अपने आप को घोड़े से बांध लिया था.
घोड़े से बंधे होने के कारण वह घोड़े से नहीं गिर सकता था. रास्ते में एक गहरा खड्डा आया, तेज रफ्तार में दौड़ता हुआ घोड़ा उस खड्डे को पार करने के लिए छलांग लगाता है तभी डर के मारे तीस मार खान ने पास के पेड़ को पकड़ लिया. तीस मार खान घोड़े से बंधा हुआ था और घोड़े ने ऊंची छलांग लगाई थी इस वजह से वह पेड़ उखड़ गया.
जब दुश्मन सेना ने देखा कि इनके सेनापति ने एक बार में ही पेड़ उखाड़ लिया तो डर के मारे उन्होंने मैदान छोड़ दिया. तीस मार खान की यह गलती उसकी बहादुरी में बदल गई और दुश्मन सेना वहां से भाग गई. तीस मार खान को भी इस बात का अंदाजा नहीं था और वह बिना कुछ मेहनत किए ही वीर साबित हो गया.
हमेशा गलतियों से विजय हासिल करने के कारण तीस मार खान को गलतियों का सम्राट के नाम से जाने जाना लगा. हालांकि तीस मार खान की यह कहानी सच है या नहीं है इस बारे में कोई जानकारी नहीं है लेकिन उसके बारे में ऐसी ही लोककथा प्रचलित है.