भारत में कई सालों से “बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ” अभियान चलाया जा रहा है. बीते सैकड़ों दशकों से भारत में लड़कियों की कमी रही है कहने का आशय है कि भारत में महिला लिंगानुपात काफी कम रहा है. अब भारत का लिंगानुपात सुधरा है और इस वर्ष लड़कियों की संख्या लड़कों के मुकाबले थोड़ी ज्यादा हो गई है, लेकिन फिर भी यह संख्या कुछ ही राज्यों में अधिक है. राजस्थान के कई इलाकों में तो आज भी पुरुषों का विवाह आसानी से नहीं हो रहा, क्योंकि यहां लड़कियों की काफी कमी देखी गई है.
लेकिन शक्तिशाली देश रूस जहां दुनिया में सबसे ज्यादा हथियार है और दुनिया में सबसे ज्यादा जमीन भी इन्हीं के पास है. इस देश में लड़कों की संख्या काफी कम है. रूस क्षेत्रफल में पहले स्थान पर है जबकि यहां जनसंख्या विश्व में सातवें स्थान पर है.
अगर बात करें और उसके लिंगानुपात की तो यहां प्रत्येक 100 महिलाओं पर केवल 86 पुरुष ही हैं. रूस में निवास करने वाली कुल आबादी में से पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की संख्या 90 लाख ज्यादा है. लातविया में 100 महिलाओं पर 84 पुरुष है जबकि यूक्रेन में 86, आर्मेनिया में 86, बेलारूस में भी 86. यह आंकड़े काफी चिंता का विषय भी है, शायद यहां काफी महिलाओं और लड़कियों को जीवनभर सिंगल रहना पड़ता होगा.
क्या है इसका कारण ?
अगर बात की जाए कि रूस में पुरुषों की संख्या इतनी कम क्यों है? तो इसका स्पष्ट कारण विश्व युद्ध है. प्रथम और द्वितीय दोनों विश्व युद्धों में रूस अपनी मुख्य भूमिका निभा रहा था. इसी वजह से विश्व युद्ध के दौरान यहां एक ही समय में 20 लाख से ज्यादा पुरुषों की मौत हो गई थी. यह आंकड़ा उस जमाने की जनसंख्या के मुकाबले बहुत ज्यादा है और इन युद्धों ने रूस में हमेशा के लिए पुरुषों की कमी कर दी.
इसके अलावा जो सबसे बड़ा कारण है वह है यहां के लोगों की श’राब पीने की लत. दरअसल रूस के पुरूष श’राब काफी मात्रा में पीते हैं, इसका एक कारण यहां पड़ने वाली कड़ाके की ठंड भी है. रिपोर्ट्स की माने तो 2013 तक तो रूस में बी’यर को मिनरल वाटर की तरह पिया जाता था. यानी यहां श’राब और बी’यर का सेवन बेहद आम है. यहां पुरुष भारी मात्रा में श’राब का सेवन करते हैं.
ज्यादा श’राब पीने के कारण यहां पुरूषों का स्वास्थ्य भी बिगड़ा हुआ है. ना केवल श’राब बल्कि यहां पुरुष सि’गरेट भी भारी मात्रा में पीते हैं. अब श’राब और सि’गरेट जैसी चीजों का इतना ज्यादा सेवन किया जाएगा तो सीधी सी बात है कि उनकी उम्र तो घट जाएगी.
इसी वजह से यहां की 25% पुरुष जनसंख्या 55 साल की होने तक की ही परलोक पहुंच जाती है. कहने का आशय है कि 25% पुरुष जनसंख्या की अधिकतम आयु केवल 55 वर्ष है.इन सभी कारणों से रूस में पुरुषों की संख्या काफी कम है और शायद इसे महिलाओं के बराबर आने में लंबा समय लग सकता है शायद ऐसा भी हो सकता है कि यह संख्या कभी बराबर ना हो.