बताया जाता है कि रतन टाटा का एक सपना था जिसमें वह भारत के हर घर में एक कार देखना चाहते थे. रतन टाटा चाहते थे कि भारतीय लोग 65000 का स्कूटर खरीदने के बजाय एक गाड़ी खरीदें. इस चीज को ध्यान में रखते हुए टाटा ग्रुप नें “टाटा नैनो” का प्रोजेक्ट तैयार किया और एक ऐसी गाड़ी तैयार की जिसे महज 1 लाख रुपए में खरीदा जा सके.
जब टाटा नैनो का प्रोजेक्ट बनकर तैयार हुआ तो इसकी पब्लिसिटी अपने आप ही इतनी ज्यादा हो गई कि कार के लॉन्च होने से पहले ही इसकी दो लाख यूनिट एडवांस में बुक हो गई. लेकिन बावजूद इसके टाटा नैनो आज फैल क्यों हो गई है?
टाटा नैनो फैल क्यों हो गई है?
दरअसल टाटा नैनो ने जिस बात को लेकर इस गाड़ी का सबसे ज्यादा प्रचार किया था वह थी इसकी कम कीमत. टाटा नैनो को सबसे सस्ती कार कहकर बुलाया जाने लगा और यही वजह बनी इसके फेल होने की. क्योंकि इतनी कम कीमत वाली कार देखकर लोगों के दिमाग में एक छवि बैठ गई थी यह एक सस्ती कार है जो शायद ज्यादा अच्छी नहीं होगी.
भारत में कुछ ऐसी व्यवस्था है कि यहां आदमी के पास जितनी महंगी गाड़ी होती है उसे उतना ही ज्यादा सफल माना जाता है. लेकिन टाटा नैनो की कम कीमत के कारण यह लोगों के जहन पर इतनी प्रभावशाली नहीं रही. लेकिन ऐसी बात नहीं थी कि इसकी गुणवत्ता में कोई कमी थी बल्कि अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भी इसकी तारीफ की थी.
इसके अलावा इस गाड़ी में वाइब्रेशन भी काफी ज्यादा था जिसकी वजह से लोग इसे बंद रिक्शा कहने लगे. यह शहरी अमीर लोगों के लिए कभी नहीं थी और गांव और कच्ची बस्तियों में रहने वाले लोगों ने इसे खरीदा तो सही लेकिन वहां परिवार बड़े और रास्ते काफी कच्चे थे. जिस वजह से यहां भी यह ज्यादा कारगर साबित नहीं हुई.
ऐसा भी बताया जाता है कि इसकी इंजन क्वालिटी भी ज्यादा अच्छी नहीं थी, क्योंकि इसमें दो सिलेंडर टेक्नोलॉजी वाला 624 सीसी का इंजन था जबकि सामान्य था हर गाड़ी में तीन सिलेंडर वाला 800 सीसी का इंजन होता है.
कुल मिलाकर टाटा नैनो काफी पब्लिसिटी के बावजूद भी फेल हो गई, 2017 में इसकी महज 200 कारें बिकी जबकि 2018 में केवल एक कार. 2019 के बाद इस कार का प्रोडक्शन बंद कर दिया गया है.