राजस्थानी इतिहास में दो किरदार Dhola-Maru का बहुत जिक्र किया जाता है. ऐतिहासिक दृष्टि से देखें तो यह दोनों ही किरदार काफी महत्वपूर्ण रहे हैं और हमारे संस्कृति का अभिन्न हिस्सा रहे हैं. इसके अलावा इनकी कहानी भी काफी दिलचस्प रही है. Dhola-Maru के 11 वीं सदी में रचित ढोला “Maru रा दूहा” काफी प्रचलित है. इनके बारे में विस्तार से कवि कलोल ने लिखा है.
दरअसल Dhola-Maru राजकुमार और राजकुमारी थे. ढोला का परिवार मध्यप्रदेश के नरवर क्षेत्र का राज सिंहासन संभाल रहा था. वही Maru पुंगल देश की राजकुमारी थी. बताया जाता है कि पुंगल देश में एक बार काफी अकाल पड़ गया था. इसी वजह से उन्होंने नरवर प्रदेश की ओर रुख किया. नरवर प्रदेश में काफी हरियाली थी और वहां खाने-पीने के उत्तम साधन भी मौजूद थे.
इसी दौरान दोनों राज परिवारों की मुलाकात हुई और ढो़ला के पिताजी और Maru के पिताजी ने आपस में भेंट की. इस भेंट के दौरान दोनों परिवारों ने Dhola और Maru की शादी करने का फैसला कर लिया. उस समय ढो़ला की उम्र 3 साल और Maru की उम्र महज डेढ़ साल थी. लेकिन उस समय प्र’था प्रचलित थी कि कम उम्र में शादी कर दी जाती थी और गौना बाद में किया जाता था.
जब अकाल के बाद स्थितियां सामान्य हो गई तो पुंगल प्रदेश का राजघराना वापस पुंगल प्रदेश लौट गया. उस समय संपर्क करने के साधन भी इतने मौजूद नहीं थे और दोनों प्रदेशों के बीच दूरी भी काफी ज्यादा थी. कुछ वर्ष बीते और ढ़ोला के माता-पिता की मृत्यु हो गई. जिसके बाद ढ़ोला को राजा बना दिया गया.
कम अवस्था में की गई शादी को ढ़ोला भूल गया और उसने “मालवणी” नामक राजकुमारी से शादी कर ली. इधर जब Maru बड़ी हुई तो पुंगल प्रदेश में उसे ससुराल भेजने की तैयारी होने लगी. Maru के घरवाले सोचते रहे कि जब ढ़ोला उसे लेने आएगा तब उसे ससुराल भेज दिया जाएगा. लेकिन ढ़ोला इस बात को भूल चुका था. उसकी पत्नी मालवणी को इस बात की जानकारी थी और वह नहीं चाहती थी कि ढ़ोला को इस बारे में कुछ भी ध्यान रहे.
जब भी पुंगल प्रदेश से कोई संदेश आता तो मालवणी उसे पहले ही फाड़ देती और वह संदेश ढ़ोला तक नहीं पहुंच पाता. कई वर्षों तक जब ढ़ोला, Maru को लेने नहीं गया तो पुंगल प्रदेश में चिंता का माहौल छा गया. Maru भी अक्सर Dhola के सपने देखा करती थी. आखिरकार Maru की हालत देखकर पुंगल प्रदेश से एक चतुर गायक को भेजा गया.
वह चतुर गायक पुंगल प्रदेश से नरवर प्रदेश पहुंचा और उसने राज दरबार में गाने के माध्यम से Dhola तक Maru का संदेश पहुंचाया. साथ ही उसे याद दिलवाया कि बचपन में ही उसकी शादी Maru के साथ हो गई थी और वह अब तक लेने आने का इंतजार कर रही है. जिसके बाद ढ़ोला को अपनी गलती का अहसास हुआ लेकिन उसकी पत्नी मालवणी उसे रोकती रही और उसने उसे नहीं जाने दिया.
आखिरकार एक दिन ढ़ोला जब’रदस्ती अपने ऊंट पर सवार होकर Maru को लेने निकल पड़ा. वह पुंगल प्रदेश पहुंचा और उसने Maru को विदा करने की तैयारी करने के लिए कहा. लंबे इंतजार के बाद यह मौका देख कर Maru भी खुशी खुशी विदा हुई.
लेकिन बीच रास्ते में ही एक घुड़सवार खलनायक उमर सूमरा ने उनका पीछा करना शुरू कर दिया. वह घोड़े से उनका काफी देर तक पीछा करता रहा लेकिन ढ़ोला नहीं पकड़ाया. आखिरकार संघर्ष के बाद Dhola, Maru को लेकर नरवर प्रदेश लौट गया. बाद में ढ़ोला ने मालवणी को भी इस बात के लिए राजी किया और दोनों ही पत्नियों के साथ आगे का जीवन व्यतीत किया.