मित्रों आज हम भगवान श्री कृष्ण की वाणी से सफलता का रहस्य जानने की कोशिश करेंगे. भगवान श्री कृष्ण के अनुसार “इस संसार में हर व्यक्ति सफल होना चाहता है. जिसके पास धन कम है वह चाहता है कि मेरे पास अधिक धन हो जाए.
जिस व्यक्ति के पास ज्ञान की कमी है वह चाहता है की मैं बुद्धिमान बन जाऊं. यहां तक कि जो बैरागी है वह भी यही चाहता है की अपनी तपस्या से मैं भगवान को प्रसन्न करने में सफल हो जाऊं.”
इस प्रकार से संपूर्ण संसार में सभी लोगों की अपनी लालसाएं और कामनाएं सफलता से जुड़ी है. लेकिन फिर भी क्यों हर व्यक्ति अपने जीवन में सफल नहीं हो पाता है? आखिर इसका क्या कारण है? श्री कृष्ण के अनुसार व्यक्ति सफलता के स्वप्न तो खूब दिखता है, लेकिन उस सपने को सच करने की क्षमता अपेक्षाकृत कम लोगों में ही होती है.
श्री कृष्ण के अनुसार सफलता के नियम-
मित्रों भगवान श्री कृष्ण के अनुसार सफलता केवल उनके पैर चूमती है जिनके पैर धरातल पर होते हैं. यानी कि सफल होने का पहला नियम तो यही है कि व्यक्ति को अपनी हमेशा अपनी असलियत से रूबरू होना चाहिए. व्यक्ति को यह पता होना चाहिए कि वास्तव में वह क्या है? आज उसमें कितना सामर्थ्य है और उसे जीवन में क्या अर्जित करना है?
कई लोगों को स्वयं की जानकारी तो होती है लेकिन अपने आसपास के वातावरण से प्रभावित होकर वे स्वयं को अयोग्य मान बैठते हैं. उन्हें अपनी किस्मत बुरी लगने लगती है और वें सोचने लगते हैं कि शायद अब उनके जीवन में सफलता नहीं लिखी है.
उन्होंने अपनी दुर्बलताओं को अपने जीवन में धारण कर लिया है और शायद उन से कभी बाहर ना निकलने की कसम खा रखी है. इसलिए मित्रों सफलता प्राप्त करने के लिए द्वितीय नियम स्वयं की जानकारी प्राप्त करने के बाद स्वयं में विश्वास जगाना होता है.