शिक्षक विद्यार्थी के जीवन की वह छवि होती है जो उसे परिवार के बाद सबसे महत्वपूर्ण प्रतीत होती है. एक शिक्षक ही वह व्यक्ति होता है जो विद्यार्थी के जीवन में अनुशासन भरता है और उसे अपने आगामी जीवन को जीने के लिए विधियां और गुण सिखाता है.
यदि स्कूल में शिक्षक ना हो तो शायद बच्चे पढ़ने का सोच भी नहीं सकते. लेकिन आज हम जिस स्कूल के बारे में चर्चा करने जा रहे हैं वहां वास्तव में कोई अध्यापक नहीं पढ़ाता है . यह सुनकर शायद आपको थोड़ा अजीब लगे लेकिन यह बात बिल्कुल सच है.
जहां एक तरफ कक्षा से शिक्षक के बाहर जाते हैं बच्चे शोरगुल मचाने लगते हैं वहीं इस स्कूल के बच्चे ऐसा कुछ नहीं करते क्योंकि शायद इन्होंने कभी अध्यापक की झलक भी नहीं देखी है. यहां के विद्यार्थी शिक्षा का महत्व समझते हैं. इसीलिए खुद ही टीचर बनकर एक दूसरे को आगे बढ़ाने में लगे रहते हैं.
यह विशेष स्कूल उत्तर प्रदेश के महोबा में नदी किनारे स्थित है. स्कूल का नाम है तीरथ सागर. यहां सुबह से शाम तक पढ़ाई होती है और बेहद अनुशासन पूर्वक बच्चे पढ़ाई में मन लगाते हैं. मुख्य रूप से इस स्कूल में वह बच्चे हैं जो आर्थिक रूप से कमजोर है अथवा कोचिंग का खर्च नहीं उठा सकते हैं.
कैसे होती है पढ़ाई?
अगर बात करें कि इस स्कूल में किस प्रकार से पढ़ाया जाता है तो बताया जा रहा है कि यहां एक विषय में प्रतिभाशाली विद्यार्थी अन्य बच्चों को पढ़ाता है. जैसे जो विद्यार्थी गणित में होशियार है वह गणित पढा़एगा जो विज्ञान में होशियार है वह विज्ञान पढा़एगा.
खास बात यह भी है कि यहां के कई बच्चे सरकारी कर्मचारी हैं और आज भी बड़े पदों की तैयारी कर रहे हैं. यहां अनेक बच्चे ऐसे भी हैं जो प्रशासनिक परीक्षाओं की तैयारी करते हैं और स्टडी क्लब बनाकर मिलकर टॉपिक सॉल्व करने की कोशिश करते हैं.