पिछले कई दिनों से ऐसा देखा जा रहा है कि हिंदी भाषी या नॉर्थ इंडियन फिल्में लगातार औंधे मुंह गिर रही है. इसी कड़ी में लोग लगातार #बॉयकट बॉलीवुड जैसे कमेंट सोशल मीडिया पर कर रहे हैं.
फिल्मों में हिंदी भाषा के इस्तेमाल और पैन इंडिया जैसी शब्दावली हावी हो रही है. इसी मामले में उत्तर भारत से लगाकर दक्षिण भारत तक के कई कलाकारों के बयान सामने आ रहे हैं. अब इस मुद्दे पर अभिनेत्री दीपिका पादुकोण ने भी अपनी राय रखी है.
दीपिका ने फ्रांस में ‘कान फिल्म महोत्सव’ में शामिल होने से पहले द टाइम्स ऑफ इंडिया में बातचीत के जरिए कहा कि इस वक्त भारतीय सिनेमा बड़े बदलाव से गुजर रहा है और अब इसमें ‘क्रॉस कल्चर एक्सेप्टेशन’ यानी की विभिन्न संस्कृतियों को स्वीकार करना होगा.
कहा अब विभिन्न भाषाओं में फासले खत्म हो चुके हैं
बॉलीवुड की कई फिल्में लगातार फ्लॉप होने के बाद दीपिका पादुकोण यह कहती है कि अब हिंदी, तमिल, तेलुगू और मलयालम सिनेमा के बीच का फर्क मिट चुका है. द टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत के जरिए उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि पहले हम अलग थलग काम करते थे और हिंदी फिल्म उद्योग, तेलुगु फिल्म उद्योग, तमिल फ़िल्म उद्योग जैसे शब्दों का प्रयोग करते थे लेकिन अब सभी भाषाओं की फिल्मों को स्वीकार करना होगा.
दीपिका पादुकोण के इस बयान से ऐसा प्रतीत होता है कि अब वह समय आ चुका है जो बॉलीवुड में बड़े परिवर्तन होने वाले हैं. शायद अब उन अभिनेताओं और अभिनेत्रियों की दुकान बंद होने का समय आ गया है जो अन्य भाषाओं के कंटेंट को कॉपी कर कर अपना काम चलाया करते थे. पिछले कुछ समय में दक्षिण भारत की फिल्मों ने बॉक्स ऑफिस पर अच्छी कमाई की है.
चाहे वह पुष्पा हो, आर आर आर हो या केजीएफ चैप्टर 2 हो. इसके साथ ही साथ अभिनेता महेश बाबू ने भी कहा था कि हिंदी भाषी फिल्म में उन्हें अफोर्ड भी नहीं कर सकती. हालांकि बाद में उन्होंने अपने बयान में फेरबदल करते हुए कह दिया था कि यह महज एक मजाक था.