हिंदी सिनेमा के सबसे प्रसिद्ध अभिनेताओं में से एक देवानंद की जब भी बात होती है तब इस वाकिये का जिक्र जरूर होता है कि उन्हें सार्वजनिक तौर पर काले कोट पहनने पर मना’ही थी. आज इसी मुद्दे पर हम चर्चा करने जा रहे हैं.
इसकी जड़ों पर पहुंचने से पहले आपको बता दें कि देवानंद 1950 और 1960 के उन अभिनेताओं में से एक थे जिनकी जबरदस्त फैन फॉलोइंग थी. उनकी ज्यादातर फैन फॉलोइंग महिला वर्ग से थी और उसमें भी जवान लड़कियां तो उन पर जान छि’ड़कती थी.
आप इस बात का अंदाजा ऐसे लगा सकते हैं कि उस वक्त देवानंद को इतना पसंद किया जाता था जब ना तो कोई सोशल मीडिया था और ना ही फोन के जरिए तस्वीरें इधर-उधर हुआ करती थी. आज के जमाने में यह बात आसान है क्योंकि हम अपने पसंदीदा सेलिब्रिटी की तस्वीरें चंद सेकेंड में देख सकते हैं. लेकिन उस वक्त तो ऐसा भी नहीं था इसके बावजूद देवानंद सब के दिलों में बसे हुए थे.
लड़कियां देवानंद की एक झलक देखने के लिए तरसा करती थी. अगर वही बात करें उनके जीवन की उस घटना के बारे में जिससे उन्हें सबसे ज्यादा प्रसिद्धि मिली तो वह है उनकी फिल्म काला पानी के रिलीज के बाद की. देवानंद की यह फिल्म काला पानी साल 1958 में रिलीज हुई थी. फिल्म में देवानंद के साथ मधु और नलिनी जयवंत भी मुख्य भूमिका निभा रही थी.
बताया जाता है कि इसी फ़िल्म के दरमियां देवा अक्सर काला कोट पहना करते थे. वह काले कोट में इतने हैंडसम लगते थे कि मानो देखने वालों की निगाहें उनसे हटती ही नहीं थी. बताया जाता है कि देवानंद इसी लुक पर फिदा होकर एक लड़की ने देव आनंद को अपना दिल दे दिया और जब वह उन्हें नहीं पा सकी तो उसने अपनी जीवन लीला ही समा’प्त कर दी.
एक दो लड़कियों के साथ नहीं था बल्कि हजारों लड़कियां देवानंद के प्यार में पागल थी और उनके काले कोट के लुक को बेहद पसंद करती थी. ऐसी खबरें सामने आई थी कि कई जवान लड़कियों ने देव आनंद के प्यार में पड़कर ऊंची इमारतों से छलांग लगा ली है या फिर उन्होंने सु’साइड करने की कोशिश की है.
झसी बढ़ी हुई घटनाएं देखकर ही आखिरकार कानू’नन फैसला लिया गया कि देवानंद सार्वजनिक तौर पर कभी कालाकोट नहीं पहनेंगे. हालांकि उन्हें अपने निजी कार्यक्रमों में ऐसा करने की पूरी आजादी थी.