मित्रों 80 के दशक में आए रामायण के रावण को तो कौन नहीं जानता! राम,लक्ष्मण, सीता साथ ही रावण 80 के दशक में भी लोगों के सामने लोकप्रिय किरदार थे तथा कोरोना काल में दुबारा टीवी पर रामायण के प्रसारण के बाद तो सभी लोग उन्हें अच्छी प्रकार से जानते हैं.
हालांकि एक बहुत बुरी खबर कि मंगलवार रात को 83 वर्षीय अरविंद त्रिवेदी का निधन हो चुका है. अरविंद त्रिवेदी रामायण में रावण के किरदार में थे, उनके निधन की जानकारी उनकी बेटी एकता ने दी है. अरविंद त्रिवेदी लंबे समय से बीमार चल रहे थे तथा समय-समय पर उन्हें हॉस्पिटल में भर्ती कराना पड़ता था जिससे उनका मंगलवार रात निधन हो चुका है.
इससे पहले मई में भी उनके निधन की कुछ अफवाह उड़ी थी, लेकिन बाद में लक्ष्मण का किरदार निभाने वाले सुनील लहरी ने सभी अफवाहों का खंडन किया तथा बताया कि अरविंद त्रिवेदी जिंदा है. रामायण में रावण के किरदार के अलावा अरविंद जी ने विक्रम बेताल टीवी शो में भी अपना अहम किरदार निभाया है इसके साथ ही उन्होंने गुजराती सिनेमा में भी बहुत काम किया है.
उन्होंने कुल 250 हिंदी और गुजराती फिल्मों में अपना किरदार निभाया है, गुजराती फिल्मों में अरविंद जी का बेहतरीन किरदार देखकर ही रामानंद सागर ने उन्हें रावण का किरदार दिया था. उन्होंने प्रसिद्ध हिंदी फिल्म ” प्रेम बंधन” में भी काम किया है. मीडिया के साथ की गई खास बातचीत में उन्होंने बताया था कि रावण का ऑडिशन देने के लिए उस समय 400 से अधिक लोग आए थे.
उन्होंने बताया कि रामायण शो में रावण के किरदार के बाद उनकी जिंदगी बदल चुकी थी, वह असल जिंदगी में भगवान शिव के बहुत बड़े भक्त हैं तथा रावण भी भगवान शिव का असीम भक्त था. रामायण की कुल शूटिंग ढाई साल तक चली थी, जिसके दौरान उन्हें पांच 5 घंटे तैयार होने में लगते थे उनके मुकुट का वजन भी लगभग 8 से 9 किलो था.
मीडिया से बातचीत में उनकी बेटी ने बताया कि शूटिंग पर जाने से पहले अरविंद जी भगवान राम से हमेशा क्षमा मांगते थे कि उन्हें अपने किरदार के चलते उन्हें अपशब्द कहने पड़ेंगे. इसके साथ ही अरविंद त्रिवेदी 10 वीं लोकसभा में मेंबर ऑफ पार्लियामेंट भी रह चुके हैं, उन्होंने गुजरात के साबरकांठा से चुनाव जीता था.
हालांकि एक लंबे समय से अरविंद त्रिवेदी ने शूटिंग छोड़ रखी थी, अपने जीवन के आखिरी समय में अरविंद जी अपना ज्यादातर समय भगवान की भक्ति में ही व्यतीत किया करते थे. उन्होंने विभिन्न तीर्थ किए थे इसी के साथ उन्होंने अपने धन का एक बड़ा हिस्सा दान पुण्य में दे दिया था.
उनका कहना था कि यह समस्त दिन उन्हें भगवान शिव का ही दिया हुआ है इसलिए इसको लोगों की भलाई में लगाना आवश्यक है. 80 के दशक में अरविंद त्रिवेदी के चाहने वालों का पागलपन इस कदर था कि जब वे एक बार रामानंद जी के साथ उज्जैन महाकाल के दर्शन के लिए गए थे तो वहां 5–6 लाख लोगों की भीड़ जमा हो गई थी.
उनका कहना था कि रावण के किरदार से पहले उन्हें कोई नहीं जानता था लेकिन उसके बाद से वह जहां भी जाते लोग उनके सम्मान में खड़े हो जाते थे सभी उनसे प्रश्न पूछा करते थे कि रामायण में अब आगे क्या होगा? जिस के उत्तर में हमेशा वह यही कहते थे इसके लिए आपको रामायण का अगला एपिसोड ध्यान से देखना पड़ेगा.