आज के जमाने में अगर एक दिन भी पूरा बिजली चली जाती है तो लोगों के काम ठप हो जाते हैं. आजकल बिना बिजली के किसी भी चीज की कल्पना करना मात्र कल्पना ही है. सब चीजों को चलने के लिए बिजली की ही आवश्यकता होती है. लेकिन बड़े ही दुख की बात है कि भारत में कोयले की कमी से हमारे ऊपर बिजली संकट मंडराने लगा है.
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वैसे तो बिजली पैदा करने के कई तरीके हैं. लेकिन भारत जैसे विकासशील राष्ट्र में हम आज आज भी अपनी कुल बिजली खपत का 70% भाग केवल कोयले से ही प्राप्त करते हैं. अन्य सभी साधनों पर हमारी निर्भरता 30% से भी कम है. बिजली के अलावा यह भारी संख्या में लोगों को रोजगार भी देता है.
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लेकिन विद्युत मंत्रालय की हाल ही मे कोयला आपातकाल जारी कर दिया है क्योंकि कई स्थानों पर बिजली पैदा करने के लिए कोयला मात्र कुछ ही दिनों का बचा है. देश में वर्तमान कोयले से चलने वाले 135 पावर प्लांट है जो केवल कोयले से ही बिजली की आपूर्ति करते हैं, इनमें 65 से ज्यादा पावर प्लांट में कोयले के भंडार खत्म होने वाले हैं. जो कि देश के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती है.
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कोयले की बढ़ती मांग और भारी बारिश के कारण अचानक से ही कोयले की कमी आ चुकी है, ऐसे में कुछ लोग बोलेंगे यदि कोई कोयला खत्म होने वाला है तो दूसरे देशों से खरीद ले. जानकारी के लिए बता दें कि भारत कोयला बेचकर अपनी अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा चलाता है ऐसे में हम स्वयं आयात करने लगे तो यह हमारे अर्थव्यवस्था के लिए कितनी बड़ी चुनौती होगी? वास्तव में यह बहुत ही महंगा सौदा साबित होने वाला है.
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कोयले की आपूर्ति दिनों दिन कम और मांग बेहिसाब बढ़ने लगी है ऐसे में उसके भंडारों में कमी आ जाना कोई आश्चर्यजनक बात नहीं है. भारत एशिया की तीसरी सबसे बड़ी इकोनामी है, और हमारी अर्थव्यवस्था में कोयला सर्वोच्च स्थान पर है.
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विद्युत मंत्रालय ने चेतावनी दी है कि कुछ महीनों तक हमें कोयले की भारी किल्लत का सामना करना पड़ सकता है. इसका असर आम जन पर भी देखा जाएगा. इस बात की ओर स्पष्ट इशारा करता है कि हमें ऊर्जा के नवीनीकरण संसाधनों पर ज्यादा से ज्यादा काम करने की जरूरत है, क्योंकि आज नहीं तो कल कोयले का खत्म होना तो निश्चित है.
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लेकिन समस्या यह है कि एकदम से कोयले पर निर्भरता हटा लेना और दूसरे विकल्पों को जीवन में ढाल लेना इतना आसान नहीं है. कोयला खदानों में भारी संख्या में लोग रोजगार प्राप्त करते हैं ऐसे में समाज का एक बहुत बड़ा तबका बेरोजगार हो जाएगा. इसके साथ ही यह बहुत खर्चीला भी साबित होने वाला है.
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हालांकि सरकार लगातार कोशिशें कर रही है इसके लिए सरकार अत्यधिक विद्युत ऊर्जा का उपयोग करने वाले प्लांट में सप्लाई कम करने और निजी खदानों से कोयला लेने की कोशिश कर रही है. लेकिन इतना करने से भी कोयला संकट समाप्त नहीं होने वाला. हमें अधिक से अधिक नवीनीकरण संसाधनों पर तो काम करना ही होगा.
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ऐसी आपातकालीन स्थिति में प्रत्येक व्यक्ति को चाहिए कि वह सरकार का सहयोग करें. हम लोग घरों में लगभग रोज ही कई जगहों पर फालतू बिजली व्यर्थ कर देते हैं. मौजूदा स्थिति के हिसाब से प्रत्येक व्यक्ति इस में अपनी सक्रिय भागीदारी दें और घरों में बिजली व्यर्थ ना होने दें कोशिश करें कि आप कम से कम बिजली का ही उपयोग कर पाए.