कोरोना में बंद हुए स्कूल के कारण प्रेगनेंट होने लगी कम उम्र की लड़किया, बढ़ी देश की चिंता

दुनिया भर में कोरोनावायरस के दौरान कई प्रकार की समस्याएं देखी गई है. इस बात पर भी कोई दो राय नहीं है कि कोरोनावायरस के फैलने से पहले और कोरोनावायरस के फैलने के बाद की दुनिया में कई ऐसे परिवर्तन हुए हैं जिनकी उम्मीद शायद किसी को नहीं थी.

देश दुनिया में कोरोनावायरस और ओमीक्रेन वैरीअंट ने कई प्रकार की इंसानी पाबंदियों को लाजमी कर दिया है. इस बीच सबसे बड़ा परिवर्तन यह देखा गया कि इतिहास में पहली बार इतने लंबे समय तक के लिए स्कूल कॉलेज बंद रहे.

तकरीबन 2 वर्ष की अवधि के लिए बंद स्कूल कॉलेजों ने विद्यार्थियों के जीवन में कई प्रकार के प्रभाव डाले हैं. इनमें सकारात्मक प्रभाव काफी कम है और ऐसा पाया गया है कि लंबे समय तक शिक्षा से दूर रहने के कारण अधिकतर विद्यार्थियों में शिक्षा की दिलचस्पी दूर हुई है. लेकिन स्कूल कॉलेज की यह पाबंदी जिंबाब्वे सरकार के लिए एक नई परेशानी खड़ी कर गई है.

इस देश में हाल के दिनों में स्कूल की बच्चियों में गर्भधारण के मामले तेजी से बढ़े हैं. स्पष्ट रूप से यह एक चिंताजनक विषय है. रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक जिंबाब्वे में कोरोना काल के दौरान महज 13 से 14 वर्ष की उम्र की लड़कियां भी गर्भवती हुई है.

इनमें अधिकतर ऐसी लड़कियां भी है जो इस दौरान अपनी स्कूली पढ़ाई भी छोड़ चुकी है. सरकार ने इस समस्या से निपटारा हेतु कई आवश्यक कदम भी उठाए लेकिन इनमें से कोई भी कारगर साबित होता नहीं दिखाई दिया.

डेढ़ करोड़ आबादी वाले इस देश में पहले 18 साल से पहले हर तीन में से एक लड़की का विवाह कर दिया जाता था. लेकिन लॉकडाउन के दौरान लड़कियों पर और बुरा असर पड़ा है क्योंकि कम उम्र में ही उनकी विवाह की रीती शुरू हो गई. इस बीच अधिकतर बच्चियां ऐसी भी है जिन्हें अस्पताल की सुविधा भी ठीक से मुहैया नहीं है.

देश में कम उम्र की लड़कियों की भर्ती प्रेगनेंसी को देखकर जिंबाब्वे की सरकार ने अगस्त 2020 में अपने कानून में बदलाव किया और प्रेग्नेंट छात्राओं को भी स्कूल आने की अनुमति दी. लेकिन फिर भी लड़कियां स्कूल में वापस नहीं आ रही है.

इसका एक कारण यह भी है कि कोरोना काल के बाद आर्थिक स्तर में भी कमी आई है. अब समस्या इस प्रकार से उजागर हो चुकी है कि देश भर में गर्भवतीयों की आयु 15 साल से 18 साल के बीच है.