आजकल नवजात बच्चों में किसी प्रकार की आंशिक बीमारी होने की संभावना काफी तेज रहती है. ऐसे में बच्चों को जन्म लेते ही किसी का किसी प्रकार की इलाज की जरूर आवश्यकता होती है.
लेकिन अगर वहां इलाज ही बच्चे के लिए नुकसानदेह साबित हो तो? अगर वह इलाज ही बच्चे के स्वास्थ्य पर कुछ ऐसा प्रभाव डाल दे जो बिल्कुल ठीक नहीं है? साफ-साफ जाहिर बात है यह किसी भी प्रकार से ठीक नहीं होगा क्योंकि एक नवजात बच्चे से सभी परिवार जनों की अच्छी खासी उम्मीदें जुड़ी होती है.
यदि बच्चे में कोई प्राकृतिक कमी है तो उसका इलाज थोड़ा मुश्किल हो जाता है लेकिन यदि किसी इंसान की गलती की वजह से ऐसा हो तो यह काफी दुखदाई हो जाता है. ऐसा ही कुछ हुआ है मध्य प्रदेश के विदिशा जिले में जहां जन्म के बाद एक नवजात बच्चे को इंजेक्शन लगाया गया.
इंजेक्शन लगाने के बाद बच्चे को बुखार आ गया. उसकी हालत सामान्य से थोड़ी खराब ही लग रही थी लेकिन कुछ ही समय बाद जब परिजनों ने देखा तो पाया कि उसका हाथ काला पड़ गया है. थोड़ी देर बाद मालूम पड़ा कि जो इंजेक्शन बच्चे को लगाया गया था वह वास्तव में एक्सपायर्ड था. बाद में घबराए स्टाफ ने बच्चे को आईसीयू में भर्ती कर दिया.
इस बारे में ग्यारसपुर के लोहारा गांव में रहने वाले मनोज सेन ने बताया कि उसकी पत्नी मिथिलेश ने एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया था लेकिन बाद में इंजेक्शन लगाने के बाद उसे बुखार आया और उसे गलत इंजेक्शन दे दिया गया. परिजनों के बार बार पूछने के बाद भी स्टाफ ने इस बच्चे को उन्हें नहीं दिखाया.
बाद में बच्चे को भोपाल के कमला नेहरू हॉस्पिटल में रेफर किया गया जहां आनन-फानन में परिजन निजी तौर पर भोपाल पहुंचे और उन्होंने पाया कि उनके बच्चे का दायां हाथ पूरी तरह से काला पड़ चुका है.