बुजुर्ग माँ-बाप को घर से निकाला, बुजुर्ग वापस पुलिस कमिश्नर के साथ पहुंचे घर, बहु-बेटे को जेल

बड़े बुजुर्ग घर की नींव होते है। एक घर तभी सुखी और खुश रहता है जब उमसे बड़े बुजुर्गों का प्यार और सम्मान हो। आज के समय में हम इतने मशरूफ हो गए है कि उन हाथों को भूल जाते है जिन्होंने हमें चलना सिखाया। पाई-पाई जोड़ कर हमें इस लायक बनाया कि हम अपने पेरो पर खड़े होकर अपनी जिंदगी अपने बल-बूते पर जी सके। जिस घर में बुजुर्गों का अनादर होता है। वह घर कभी प्रगति नहीं कर पाता, न ही ऐसे घरों ने शांति होती है और न ही सुकून।

कानपूर से आई यह खबर चौंका देने वाली है। एक घर में बेटे और बहु ने अपने माँ पिता के साथ मार-पीट की और उन्हें पीटने के बाद घर से भी निकाल दिया। परेशान होकर जब बूढ़े पति-पत्नी पुलिस के पास पहुंचे तो उन्हें वहाँ से कोई सहायता नहीं मिली। पुलिस के द्वारा शिकायत दर्ज नहीं करने के कारन बुजुर्ग दंपति कई महीनों से प्रताड़ना झेल रहे थे।

फिर थक हार कर उन्होंने पुलिस कमिश्नर को इस घटना की याचिका जाहिर की। बुजुर्ग की यह बात सुनकर कमिश्नर भावुक हो गए और ऐसी बात से उनका दिल दुखने लगा। जिसके बाद पुलिस कमिश्नर असीम अरुण खुद उनके घर गए और घर में देखा की इन बूढ़े माता पिता के साथ कैसा व्यवहार हो रहा है।

मामले की जाँच करने के बाद पुलिस कमिश्नर ने खुद सुनिश्चित भी किया कि आगे चल कर अब उन्हें उनके घर में कोई परेशानी न हो। साथ ही एक पुलिस वाले को भी उनके घर निगरानी के लिए छोड़ा ताकि बूढ़े पति-पत्नी के साथ किसी प्रकार का दुर्व्यवहार ना किया जाए।

पुलिस कमिश्नर ने कहा कि अपराधी को अपराध की सजा जरूर मिलेगी। पूरी तहकीकात के बाद बहु-बेटे को हिरासत में लेकर जेल भेज दिया गया। बड़े माँ बाप को घर से निकालना बेटे और बहु पर बहुत भारी पड़ गया।

सहायता करने वाले पुलिस कमिश्नर की बहुत तारीफ हो रही और उनकी सरहाना की जा रही है। जब तक हमारे देश में ऐसे देश की मदद करने के लिए लोग ऊँची पोस्ट पर बैठे है। तब तक आम नागरिकों को परेशान होने की कोई बात नहीं है। ऐसे देश के सेवकों के कारण ही न्याय पर आज भी लोग का विश्वास है और वह चैन की नींद लेते है।


आज कल की नई पीढ़ी को अपने बूढ़े माता-पिता से शर्म आती है और उन्हें अपने साथ नहीं रखना चाहते। यह बहुत ही शर्मनाक बात है आज की पढ़ी के लिए। उन्हीं माता पिता को जिन्होंने अपने मुँह के निवाले से अपने बच्चों का पेट भरा हो और उन्हें जिंदगी के मायने समझाए हो।

एक घर तब ही घर बनता है जब उस पर बड़े बुजुर्गों का साया हो। यदि कोई व्यक्ति अपने माता पिता की इज़्ज़त नहीं कर सकता तो मंदिरों में बैठे भगवन भी उसकी सहायता नहीं कर सकते।