महिला का नहीं था कोई सगा भाई, चार लाख का मायरा (भात) लेकर पहुंचा पूरा गांव

भारतीय शादियों में मायरा(भात) का काफी महत्व है. लेकिन विशेष कार्य राजस्थान में बड़ी महत्वपूर्ण मानी जाती है. कुछ ऐसा समझ लीजिए कि मायरा के बिना कोई भी शादी लगभग अधूरी समझी जाती है.

बता दे मायरा वह रस्म होती है जब दूल्हा दुल्हन की मां के भाई शगुन के तौर पर कुछ पैसे और आभूषण लेकर आते हैं. कहने का आशय हुआ जिनकी शादी होती है उनके मामा मायरा जब तक नहीं भरते शादी अधूरी मानी जाती है.

ऐसे में जिन महिलाओं के भाई सगे नहीं होते उनके लिए काफी भावुक घड़ी हो जाती है क्योंकि उनके मायरा लाने वाला कोई नहीं होता.

राजस्थान में “नानी बाई का मायरा” भी काफी प्रसिद्ध है जब नानी बाई का कोई भाई नहीं था और श्री कृष्ण स्वयं उनके भाई बनकर मायरा भरने आ गए थे. ठीक ऐसा ही एक बार दोबारा देखने को मिला है जब हाल ही में संपन्न एक शादी में गांव वालों ने मिलकर एक सराहनीय कदम उठाया.

बताया जा रहा है यह सुंदर मामला राजस्थान के नागौर जिले के खींवसर गांव का है जहां एक महिला का कोई सगा भाई नहीं था. जब उन्होंने अपनी दो बेटियों की शादी करने का फैसला किया तो उन्हें इस बात की चिंता थी कि मायरा की रस्म कौन अदा करेगा? लेकिन गांव वालों की एकता ने उनके घर में ढेर सारी खुशियां भर दी.

बताया जा रहा है कि खींवसर गांव की ही संतु नाम की महिला की दो बेटियां वैवाहिक जीवन में बंधने जा रही थी और शादी के इस अवसर पर गांव के युवाओं ने 4 लाख रुपए जमा किए और संतों के घर पहुंच गए. केवल इतना ही नहीं युवाओं ने मिलकर 2 तोला सोना 28 तोला चांदी भी जुटाई.

गांव वालों ने मिलकर दोनों बेटियों को कई तरह के उपहार भी दिए और कहा हम सब आपके भाई हैं. अपने भाई का इंतजार कर रही बहन भी इस क्षण को देखकर काफी खुश हुई और उसने अपने सभी भाइयों को तिलक लगाकर रस्में अदा करवाई.