किसान 3 फार्म लॉ के खिलाफ आंदोलन कर रहे है। जब से यह लॉ निकले है तभी से किसान सरकार के खिलाफ खड़े हो गए है और चाहते की जल्द से जल्द इनको वापस ले लिया जाए। इसीलिए किसान देश के कई जगह जा कर अपनी बात रख रहे है और सारकर के खिलाफ विद्रोह भी कर रहे है। इसी विद्रोह ने 26 जनवरी को लाल किले पर बहुत सुर्खियाँ भी बटोरी थी। जब एक छोर पर पुलिस और सरकार थी तो दूसरी तरफ किसान।
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भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने सोमवार को बताया कि 14 और 15 अगस्त को गाज़ीपुर बॉर्डर तक ट्रेक्टर रैली होगी और 15 अगस्त को वह दिल्ली की जमीन पर झंडा भी फिरायेंगे। राकेश जी ने यह भी बताया कि 40 यूनियन के साथ एक संयुक्त मोर्चा भी निकाला जाएगा। जिसमें उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, पंजाब और देश के विभिन्न राज्यों में जा कर वह सरकार से बात भी करेंगे। इसके साथ-साथ 5 सितम्बर को मुज़फरनगर में एक बड़ी पंचायत भी रखी जाएगी।
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साथ ही साथ यह भी कहा कि 26 जनवरी को जो भी हुआ उसमें इनका कोई दोष नहीं है। उस दिन हमारा राष्ट्र झंडा भी इन्होंने नहीं हटाया था। हजारों किसान सरकार के 3 किसान कानून के खिलाफ विद्रोह कर रहे है। इस सब में विपक्ष के साथ साथ कई राजनीतिक पार्टियाँ भी है जिन्होंने उनका साथ दिया था।
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कांग्रेस का किसानों के साथ देते भी देखा गया है। सोमवार को कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष राहुल गाँधी बाकी कुछ पार्टियों के साथ ट्रेक्टर में संसद भवन तक पहुँचे। विद्रोह में अपनी भागीदारी भी दिखाई। राहुल गाँधी के साथ प्रताप सिंह बाजवा, रवनीत सिंह बिट्टू, दीपेंद्र सिंह हूडा, गुरजीतस सिंह औजला, और रणदीप सुरजेवाला भी थे। इनके साथ और भी कई लीडर्स बैनर्स फेरा कर और नारे लगा कर विद्रोह प्रदर्शन करते नजर आए थे।
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कांग्रेस के चीफ ने यह भी कहा कि भले ही यह दिखाया जा रहा है की यह सरकार किसानों की मदद करना चाहती है परन्तु यह सिर्फ कुछ इंडस्ट्रीज की मदद करना चाहते है। इन सभी काले कारनामों के बारे में सारा देश जानता है। कहा कि इस क़ानून से किसानों को कोई फायदा नहीं है और इसी लिए इसे वापस ले लेना चाहिए।
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आज कुछ किसानों ने यह भी जताया कि 15 अगस्त को वह हरियाणा में भी ट्रेक्टर मार्च करेंगे। अब देखना यह है कि क्या यह मोर्चा 26 जनवरी के विद्रोह की तरह मोड़ लेता है? या इस बार सरकार और किसानों के बीच शांति पूर्ण माहौल रहेगा व 15 अगस्त सकुशल तरीक़े से सम्पूर्ण होगा?