देश में इन दिनों हिजाब को लेकर और धर्म संसद के मुद्दे को लेकर खासी बहस छिड़ी हुई है. यह मामला इन दिनों लगभग हर पत्रिका और टीवी चैनल का मुख्य मुद्दा बना हुआ है.
इस मुद्दे पर देश के कई प्रसिद्ध लोगों के अलावा देश-विदेश से भी अनेक प्रकार की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही है. इस बीच इस्लामिक देशों के मुख्य संगठन OIC (Organisation of Islamic Cooperation) ने भी पूरे मामलें पर अपनी प्रतिक्रिया पेश की है.
ओआइसी ने इस पूरे मामले पर कड़ी नाराजगी जताई है. संगठन ने इस मामले को नफरत भरा और चिंता योग्य बताया है. इस बीच इस संगठन ने अपना एक बयान भी जारी किया है जिसमें उन्होंने इन दिनों भारत में मुस्लिमों के साथ होने वाले व्यवहार को अमान्य बताया.
संगठन का कहना है कि भारत में हरिद्वार में धर्म संसद का आयोजन करके धर्म का हवाला देने वाले कुछ लोगों ने मुस्लिमों के जनसंहार की अपील की है जो मुस्लिमों के खिलाफ बढ़ते उत्पीड़न को दर्शाता है. जनसंहार की यह मांग किसी भी प्रकार से मानी नहीं जा सकती.
आगे उन्होंने हिजाब पर चलने वाले विवाद को भी काफी चिंताजनक बताया और कहा कि भारत सरकार को मुस्लिमों की सुरक्षा करने के लिए कुछ जरूरी कदम अवश्य उठाने चाहिए.
संगठन का कहना है कि भारत सरकार को मुस्लिम वर्ग की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए और उन सभी लोगों को न्याय के कटघरे में खड़ा करना चाहिए जो ऐसे मामलों को बढ़ावा दे रहे हैं.
क्या है भारतीय विदेश मंत्रालय का कहना?
ओआईसी के इस जारी बयान के जवाब में भारतीय विदेश मंत्रालय ने भी अपनी प्रतिक्रिया तुरंत दी है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने इस विषय में कहा कि संगठन की इस पूरे मामले पर सोच काफी सांप्रदायिक है और भारत सरकार की सराहना नहीं करती है.
उन्होंने कहा कि यह संगठन भारत संबंधित मामलों पर भ्रामक बयान फैलाने की कोशिश कर रहा है. अरिंदम बागची का कहना है कि भारत में अलग-अलग मुद्दों को संवैधानिक ढांचे और तंत्र के लोकतांत्रिक लोकाचार के आधार पर देखा जाता है ऐसे में फैला यह सारा मामला भी संविधान में विचाराधीन है और इस पर नीतियों के अनुसार जल्दी ही समाधान भी निकाल लिया जाएगा.