कोरोना के मामले देश में एक बार फिर बढ़ने लग गए है। लगातार दूसरे दिन 43,000 से ज्यादा मामले देखने को मिले है। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार पिछली 24 घंटों में 43,509 केस सामने आए जिसमें से 640 संक्रमित व्यक्तियों की जान चली गयी। आए गए मामलों में से 50% केवल केरल से है। बुधवार को 22,000 से ज्यादा केस दर्ज हुए। अभी कुल एक्टिव केस 4,03,840 है। कोरोना महामारी में दुनिया में भारत सातवें स्थान पर है।
आए गए मामलों में से 80 % मामले केरल व महाराष्ट्र के राज्यों से है। फिर से कोरोना के मामलों में तेजी से इजाफा हो रहा है। दूसरी लहर के दौरान रोजाना 4 लाख से 2 लाख तक पहुँचने में 26 दिन लगे। 2 लाख से 1 लाख के आँकड़ों पर आने में 11 दिन। 1 लाख से 50 हजार तक आने में 20 दिन लग गए तो उसी के साथ 30-40 हजार के आँकड़ों पर आने में 31 दिन का वक़्त लगा।
कोरोना के मामले भारत में रोजाना 40,000 के आँकड़े के आस-पास हो गए है। जाहिर है जिंदगी चलते रहने का नाम है लेकिन कोरोना महामारी ने बच्चों को भी घर पर बैठा दिया। अब जब कोरोना की दूसरी लहर थमने लगी है तो देश के कई राज्यों में 6th कक्षा से ऊपर के बच्चों के लिए स्कूल खुलने लग गए है।
पंजाब में 26 जुलाई से 10वीं से ऊपर के बच्चों के स्कूल खुल गए। इससे पहले 16 जुलाई को हरियाणा में 9वीं से 12वीं तक के बच्चों के स्कूल भी खोले जा चुके है। महाराष्ट्र में भी 15 जुलाई से 8वीं से ऊपर के बच्चों के स्कूल खुल गए है लेकिन उन्हीं इलाकों में जहाँ कोरोना के केस कम है। उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, आँध्र प्रदेश और हिमाचल में अगले महीने यानी अगस्त में स्कूल खोलने की तैयारी हो चुकी है।
बाकी राज्यों में स्कूल खोलने को लेकर कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ है। अभी भी ज्यादा तर अभिभावक बच्चों को स्कूल भेजने के हक़ में नहीं है। काफी राज्यों में कोरोना केस घटने के कारण हफ्ते में 2 दिन स्कूल खोले जा रहे है। सामूहिक गतिविधियों को अभी बंद रखा जाएगा और स्कूल में उन्हीं अध्यापिका को आने की अनुमति है जिनके टीका करण पूरा हो चूका है।
विशेषज्ञ भी स्कूलों को खोले जाने की पक्ष में है परंतु उनकी राय है कि-
- जहां कोरोना के मामले 5% के आस-पास है वही स्कूल खोले जाने चाहिए।
- ध्यान में रखा जाना चाहिए की एक कक्षा में 50 % से ज्यादा छात्र ना हो।
- स्कूल में वही अध्यापक पढ़ाएंगे जिनका टिका करण पूरा हो चूका है।
साथ ही साथ हर अभिभावकों को अपनी बच्चों की चिंता है जिसके कारण वह बच्चों को स्कूल भेजने से डर रहे है। अभी तक कई राज्यों ने स्कूलों को लेकर को फैसला नहीं आया है जिसमें दिल्ली भी शामिल है।