पाकिस्तान में आसमान छूती महंगाई के सोशल मीडिया पर कई बार चर्चे होते रहते हैं. लोगों को खाने के लिए दो वक्त की रोटी के लिए कड़ा संघर्ष करना पड़ रहा है जिसके बाद कई पाकिस्तानी नेताओं के लोगों को कम रोटी खाने की सलाह के वीडियो वायरल हुए हैं. लोगों को गेहूं और चीनी जैसी चीजें खरीदने के लिए भारी-भरकम रकम अदा करनी पड़ रही है वहीं पाकिस्तानी बाजार में फलों के मूल्य लगातार गिर रहे हैं.
पेशावर की फल मंडी में गहमागहमी चल रही है इसके साथ ही देश के कई बड़े शहरों जैसे पेशावर, कराची, इस्लामाबाद और लाहौर में भी फलों के मूल्य लगातार नीचे गिर रहे हैं. फलों के मूल्य में पिछले साल के मुकाबले आधे से भी ज्यादा दाम नीचे गिर चुके हैं. यानी कि जिस फल का मूल्य पिछले साल 100 रुपए था आज वह 50 रुपए से भी कम में बिक रहा है.
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कौन है इसका जिम्मेदार?- पाकिस्तान में आई फलों के मूल्य में गिरावट का जिम्मेदार सीधा-साधा अफगानिस्तान हैं. अफगानिस्तान में लगातार फल अच्छी मात्रा में उग रहे हैं. अफगानिस्तान लगातार एक बेहतर फल विक्रेता के रूप में उभर रहा है, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के सदस्य ही श्रेष्ठ व्यापारिक संबंध रहे हैं.
पहले अफगानिस्तान से फल कई दूसरे देशों में जाते थे. सामान्यतया अफगानिस्तान लगभग 24 से 25 घंटे में फलों की सप्लाई कर देता था. जिसके बाद उन्हें विभिन्न मंडियों में ले जाकर भेज दिया जाता था. भारत ने अफगानिस्तान से कई बार फलों की खरीदारी कर चुका है. अफगानिस्तान पर तालिबान के आक्रमण के बाद वह हालत बेहद खराब हो गए जिसके बाद से अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था चरमरा गई. काबुल और कंधार के रास्ते बड़ी संख्या में फलों के व्यापारी व्यवसाय करते थे.
अफगानिस्तान में मची खलबली के बाद वहां का फल व्यापार बुरी तरीके से टूट गया. काबुल से पाकिस्तान पहुंचने के लिए फलों को तीन से चार दिन का लंबा समय लग जाता है. इसके बाद भी उन्हें घंटों लंबी कतारों में खड़ा रहना पड़ता है, वहां से फल जब तक स्थानीय बाजारों में पहुंचते हैं तब तक उनकी क्वालिटी खराब हो जाती है.
जानकारी के मुताबिक पाक-अफगान बॉर्डर पर वर्तमान में रोजाना 400 से अधिक फलों से लदे ट्रक खड़े रहते हैं. यहां रोजाना 10 किलोमीटर से भी ज्यादा लंबी कतार लगी रहती है. अफगानिस्तान बीते कुछ वर्षों से अच्छी मात्रा में फलों का उत्पादन कर रहा है, जिसकी वजह से उन्हें बेचना तो देश की मजबूरी है.
अन्य देशों में व्यापार ठप होने के कारण अफगानिस्तान अपने सारे फल पाकिस्तान को ही भेजता है जिसकी वजह से वहां कीमतों में भारी गिरावट आ चुकी है. इसके अलावा इन फलों की क्वालिटी कुछ बढ़िया नहीं है इसलिए ग्राहक भी इनमें रुचि नहीं दिखाते. अफगानिस्तान और पाकिस्तान का फल व्यापारी वर्ग इस वजह से बेहद घाटे में चल रहा है.
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पाकिस्तान नहीं बेचता अफगानिस्तान को कोई भी चीज– जब तक अफगानिस्तान पर तालिबान का हमला नहीं था तब तक पाकिस्तान अफगानिस्तान को कई वस्तुएं निर्यात करता था. लेकिन जब से वहां के हालत बिगड़े हैं पाकिस्तान है लगभग अपने सारे व्यापारिक संबंध अफगानिस्तान से तोड़ने शुरू कर दिए हैं. इससे पहले बड़ी मात्रा में पाकिस्तान से सीमेंट, सरिया, पाइप, कुछ विशेष पाकिस्तान फल और डेयरी उत्पाद एक बड़ी मात्रा में अफगानिस्तान जाते थे.
लेकिन अब पाकिस्तान ने इन पर रोक लगा दी है. कुछ व्यापारी वर्गों की मीडिया के साथ की खास बातचीत में उन्होंने बताया कि अब अफगानिस्तान में विदेशी मुद्रा के लिए कोई संसाधन नहीं है. यानी कि जो वस्तु है पाकिस्तान से अफगानिस्तान जाती है तो अफगानिस्तान उन वस्तुओं का पेमेंट देने से मना कर देती है. उनका कहना है कि उनके देश में विदेशी मुद्रा की कमी हो चुकी है. महीनों तक पेमेंट अटके रहते हैं जिस वजह से लाभ की कोई संभावना नहीं बनती है. जिस वजह से पाकिस्तान लगातार अफगानिस्तान से अपने व्यापारिक संबंध तोड़ रहा है.