दुनिया भर के विभिन्न देशों में जहां एक तरफ वैक्सीनेशन जोरों शोरों पर चल रहा है वहीं दूसरी तरफ कोरोना का नया वैरीअंट ओमीक्रोन एक बार फिर तहलका मचा रहा है. इसकी वजह से दुनिया भर में कोरोना केस एक बार फिर बढ़ते हुए नजर आ रहे हैं, वर्तमान में अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन में रिकॉर्ड संख्या में संक्रमण के मामले सामने आ रहे हैं. भारत में भी हालात कुछ ठीक नहीं है और हर दिन हजारों की तादाद में नए कोरोना केस सामने आ रहे हैं.
यह स्थिति दुनिया भर में तब पैदा हो रही है जब अधिकतर जनसंख्या को वैक्सीनेशन किया जा चुका है, भारत में भी अमूमन सभी लोगों को कोरोना बचाव हेतु 2 टीके लगाए जा चुके हैं, लेकिन उसके बावजूद भी टीका ले चुके लोग भी कोरोना पॉजिटिव हो रहे हैं. ऐसे में यह बहस छिड़ी हुई है कि क्या आखिर कोरोना वैक्सीन ओमीक्रोन पर प्रभावी नहीं है ?
इस विषय में स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडवीया ने राज्यसभा बहस के दौरान कहा था कि मौजूदा वैक्सीन कोरोना पर कारगर नहीं है ऐसा कोई सबूत नहीं है. लेकिन वैक्सीन ने यह दावा कभी नहीं किया था कि यह कोरोना पर 100% काम करती है, वैक्सीन लेने का आशय यह नहीं है कि आप कोरोना पॉजिटिव नहीं हो सकते बल्कि वैक्सीन कोरोना से होने वाली मौत के खतरे को टालती है.
इस विषय में ब्राजील के संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉक्टर रेनारो कफोरी कहते हैं की वैक्सीन का काम कोरोना के खतरे को कम करना है, यह उन लोगों पर कम प्रभावी है जिनमें कोरोना के सामान्य लक्षण है या कोई लक्षण नहीं है. बल्कि वैक्सीन उन लोगों पर ज्यादा काम करती है जिन पर कोरोनावायरस ने गंभीर आक्रमण किया है.
कॉमन वेल्थ फंड के अनुसार अमेरिका में नवंबर तक कोरोना वैक्सीन की वजह से 11 लाख लोगों को मरने से बचाया जा सका, इसके अलावा 1 करोड़ 30 लाख मरीजों को अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत नहीं पड़ी. यानी कोरोना वैक्सीन लेने की वजह से अस्पताल में मरीजों की संख्या कम होगी, इसी कारण स्वास्थ्य सेवाएं चरमराएंगी नहीं.
विशेषज्ञ तो यहां तक कह रहे हैं कि हमें कोरोना के साथ जीना सीखना चाहिए, इसे पूरी तरह से समाप्त करना लगभग नामुमकिन है. इसके अलावा इसकी कोई बेहतर जीवन पर्यंत कारगर वैक्सीन बनाने में भी लंबा समय लग सकता है, वैक्सीन ले चुके लोगों के लिए कोरोनावायरस सामान्य फ्लू की तरह है जो कुछ ही दिनों में अपने आप ठीक हो सकता है.