India vs China: अरुणाचल प्रदेश को चीन क्यों बोलता है दक्षिणी तिब्बत? भारत का वो जांबाज सैनिक, जिसने चीन से छीन लिया

हमारे पड़ोसी देश चीन सदा से ही अतिक्रमण की नीतियां रही है. पूरे देश को एक शौक- सा है कि वह बार-बार दूसरे देशों के क्षेत्राधिकार में अपना अतिक्रमण स्थापित करने की कोशिश करें. इतिहास गवाह है चीन सदस्य ही ऐसा करता भी आया है. भारत के सामने अपने क्षेत्राधिकार के दावे करता आया है.

हाल ही में भारत के उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू के अरुणाचल प्रदेश दौरे पर चीन ने आपत्ति जताई है. उनके अनुसार वहां के कुछ साल के दायरे में आते हैं. उन्होंने आगे कहा कि भारत ऐसा कोई भी काम ना करें जिससे सीमा विवाद उत्पन्न होने की आवश्यकता आए.

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इस पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने तुरंत ही प्रतिक्रिया देते हुए जवाब दिया की “अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न हिस्सा है और इस पर चीनी सरकार को आपत्ति होने का कोई तर्क नहीं है. भारत के राष्ट्र राज्य निर्माण के समय ही अरुणाचल प्रदेश को संपूर्ण तरीके से भारत राष्ट्रीय में विलय किया गया था.”

कई बार पहले भी छिड़ चुकी है ऐसी बहस- आश्चर्य की बात तो यह है की यह कोई पहली बार नहीं है जब चीन की सरकार ने भारत के किसी नेता के अरुणाचल दौरे पर आपत्ति जताई है. इससे पहले भी ऐसी हरकतें बार- बार कर चुका है. सन 2019 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अरुणाचल प्रदेश दौरे पर आपत्ति जताई गई थी इसके अलावा मंत्री राजनाथ सिंह के जाने पर भी विरोध जताया गया था.

2020 गृह मंत्री अमित शाह के दौरे पर भी चीनी सरकार ने आपत्ती प्रदर्शित की थी. हालांकि चीन के समस्त तर्कों को भारतीय विदेश मंत्रालय बार-बार खारिज करता आया है. विदेश मंत्रालय चीन को बार-बार आगाह करता है की अरुणाचल प्रदेश पर उनका कोई हक नहीं है.

लेकिन चीन की सरकार अरुणाचल प्रदेश कि 90 हजार वर्ग मीटर जगह पर अपना दावा पेश करती है उनका कहना है कि यह स्थान तिब्बत का दक्षिणी भाग है. रिपोर्ट के मुताबिक चीन ने अकसायी चीन के 38000 किलोमीटर क्षेत्र पर अवैध रूप से कब्जा जमा रखा है. जबकि इस पर चीन का कोई हक नहीं है. तिब्बत अपने आप में एक अलग स्थान है तो यदि भारत सरकार ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के तिब्बत दौरे पर कोई आपत्ति नहीं जताई.

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जबकि राष्ट्रपति भारतीय सीमा से महज 15 किलोमीटर दूर पीपल्स लिबरेशन आर्मी के बेस पर एक रात रूके थे, जहां चीनी सेना को कुछ विशेष ट्रेनिंग की हिदायत दी गई थी. जब इतने पर भी भारत की तरफ से कोई आपत्तिजनक प्रतिक्रिया नहीं दी गई तो चीन की ऐसी हरकतों का क्या आशय बनता है?

चीन अरुणाचल प्रदेश को बार-बार दक्षिणी तिब्बत बताता रहा है. जबकि दोनों देशों के बीच में 3500 किलोमीटर लंबी सीमा रेखा स्थित है. चीन स्वयं ही सीमा विवाद उत्पन्न ना करने की हिदायत देता है और स्वयं ही ऐसी हरकतें करता है जिससे सीमा पर अनायास ही तनाव उत्पन्न हो गया है.