कोरोनावायरस की दूसरी लहर ने भारत में जो तबाही मचाई थी उससे हर कोई वाकिफ है, यह भारत के लिए बेहद कष्टदायी समय था जब भारतीय दिग्गज नेता चुनाव के लिए रैलियां निकाल रहे थे और लोग ऑक्सीजन के लिए तड़प रहे थे. इस समय काल में लाखों परिवार बर्बाद हो गए थे और हजारों लोगों की रोजी-रोटी छिन गई थी. भारी संख्या में बच्चे भी अनाथ हो गए थे.
ऐसी ही दर्द भरी दास्तान है मध्य प्रदेश के जबलपुर की रहने वाली एक महिला की. कोरोना की दूसरी लहर ने इस महिला के परिवार पर ऐसा सितम ढाहया की उसके पास कुछ ना बचा. ईटीवी भारत की रिपोर्ट के अनुसार तिलहरी निवासी इस महिला का नाम कृष्णा दास है.
कृष्णा दास एक इकलौती बेटी 36 वर्षीय सुदेशना दास थी. इसके अलावा उनके 71 वर्षीय पति एस.के. दास और वह स्वयं थी. बेटी सुदेशना मुंबई में सॉफ्टवेयर इंजीनियर के तौर पर काम कर रही थी, कोरोना की पहली लहर के बाद सुदेशना अपने माता पिता के पास जबलपुर आ गई. इस समय काल में सुदेशना घर से ही काम कर रही थी.
8 अप्रैल 2021 को उनके पति और बेटी दोनों बीमार हो गए, जांच करवाने पर कोरोनावायरस के होने का पता चला. अस्पताल में बेहद भीड़ था और 2 दिन तक घूमते रहने के बावजूद भी उन्हें अस्पताल में बेड नहीं मिला, बाद में उन्हें विक्टोरिया अस्पताल में एक नसीब हुआ.
लेकिन सुदेशना अस्पताल में भी काम कर रही थी. जिसके बाद 11 अप्रैल को उसकी तबीयत बिगड़ी और 12 अप्रैल को सुदेशना की मौत हो गई, पति भी अस्पताल में भर्ती था और कृष्णा दास की भी तबीयत खराब थी इसलिए सुदेशना को मुखाग्नि देने वाला भी कोई नहीं था. बाद में एक रिश्तेदार ने पंडित के जरिए दाहकर्म करवाया.
कृष्ण दास के पति अस्पताल में भर्ती थे और उसके बाद 15 अप्रैल को पति की भी मृत्यु हो गई, वह बिल्कुल बेसहारा हो गई और अकेले रोती रही. कृष्ण दास के पति का अंतिम संस्कार मोक्ष संस्था के आशीष ठाकुर ने किया.
जीवन में इतने बड़े झटके के बाद अब कृष्णदास में दूसरों की जान बचाने के लिए एक एंबुलेंस दान की है जिसकी कीमत 16 लाख है. कृष्ण दास का कहना है कि उनकी बेटी सुदेशना भी बेसहारा लोगों की मदद किया करती थी और अब वह भी असहाय लोगों की सहायता करना चाहती है.