क्रिसमस मनाने की परंपरा मूल रूप से ईसाई धर्म में सदियों से चलती आ रही है. इस दिन को ईसाई धर्म के प्रवक्ता ईसा मसीह यानी कि जीसस के जन्मदिन के रूप में देखा जाता है.
बाइबल में उल्लेख है कि माता मरियम के घर क्रिसमस के दिन ही एक अस्तबल में ईसा मसीह का जन्म हुआ था.
क्या है ऐतिहासिक कारण ?– यदि इतिहास के पन्नों पर नजर डालें तो जिस समय ईसा मसीह का जन्म हुआ और उनका जीवन काल चला उस समय रोम साम्राज्य अपने प्रचंड पर था. रोम साम्राज्य उस दौरान लोगों पर तरह-तरह के जुर्म ढाह रहा था.
मान्यता है कि ईसा मसीह के जन्म से पहले ही स्वयं ईश्वर ने आह्वान किया था कि रोम के गुर्गों से बचने के लिए माता मरियम के घर ईसा मसीह का जन्म होगा.
ईसा मसीह जीवन पर्यंत लोगों को अत्याचार से बचाते रहे और एकता एवं भाईचारे का पाठ पढ़ाते रहे. अगर इतिहास में असलियत की बात की जाए तो ईशा मसीह के जन्म की वास्तविक तिथि किसी को ज्ञात नहीं है.
लेकिन उस समय रोम साम्राज्य में यह मान्यता थी कि 25 दिसंबर के दिन भगवान सूर्य वापस अपनी गर्मी लौटाना शुरू करते हैं, इसीलिए रोम साम्राज्य के लोग 25 दिसंबर के दिन भगवान सूर्य की पूजा करते थे.
कहा जाता है कि इसी कारण से ईसा मसीह को मानने वाले लोगों ने निश्चय किया कि इस दिन ईसाईयों का भी कोई त्यौहार होना चाहिए. बताया जाता है कि इसी कारण से लोगों ने 25 दिसंबर को ईसा मसीह के जन्म के रूप में मनाना शुरू किया. वास्तविकता में ईसा का जन्म लगभग 4 ईसा पूर्व हुआ था.
क्या है सांता क्लॉज? :– जब भी हम क्रिसमस की बात करते हैं तो हमारे जहन में लाल कपड़े पहने हुए गोल मटोल सांता क्लॉज़ की छवि अपने आप ही उभर कर आ जाती है. क्रिसमस के दिन सांता क्लॉज सभी को तो फिर देता हुआ दिखाई देता है. वास्तविकता में यह मान्यता चौथी शताब्दी में शुरू हुई थी.
जानकारी के अनुसार चौथी शताब्दी में तुर्की में “संत निकोलस” हुए थे, जो गरीबों को तोहफे दिया करते थे. संत निकोलस किसी को भी तो फिर देने से मना नहीं करते थे, इसी वजह से लोग उनका बेशुमार आदर करते थे.
संत निकोलस से ही सांता क्लॉज की परिकल्पना सामने आई थी और लोगों ने इसे क्रिसमस से जोड़ दिया. जबकि क्रिसमस के दिन फर का पेड़ सजाने की परंपरा 10 वीं शताब्दी में अंग्रेज धर्म प्रचारकों द्वारा शुरू की गई थी. इसलिए यह कहा जा सकता है कि क्रिसमस की सभी परंपराएं अलग-अलग समय में इसमें शामिल हुई थी.