इस इन्फेक्शन के बारे में संपूर्ण जानकारी देने से पहले हम एक कहानी पर चर्चा करेंगे, कहानी है उज्जैन के रहने वाले एक व्यक्ति की जो अक्सर अपने कान में टूथपिक, माचिस और कभी– कभार पिन डाल लिया करता था. अक्सर अपने कान को टूथपिक और माचिस से खुजलाता रहता था.
यह कोई नई बात भी नहीं थी हम अपने आसपास देखते हैं और कभी कभार हम स्वयं भी अपने काम में माचिस आदि डाल लेते हैं. कुछ लोगों की तो यह सामान्य आदत भी है. ऐसा ही कुछ उस व्यक्ति के साथ था. लेकिन एक दिन उसके कान में दर्द चालू हो गया, कुछ समय तक तो उसने इस दर्द पर कोई गौर नहीं किया लेकिन दर्द बढ़ता ही चला गया.
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दर्द दिनों दिन बढ़ता गया और साथ ही उसमें से पीले रंग का पानी भी आने लगा, जो व्यक्ति डॉक्टर के पास पहुंचा तो डॉक्टर ने बताया कि उसके कान में ओटिटिस मीडिया इंफेक्शन हो चुका है. उसके कान के परदे में छेद पाया गया, जिसके बाद व्यक्ति को बड़ा दुख हुआ उसने कारण जानने की कोशिश की तो उसे पता चला कि उसके परदे में छेद उसके बार-बार कान में कुछ न कुछ डालने से हुआ है.
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क्या है ओटिटिस मीडिया ? हमारे कान के 3 हिस्से होते हैं. एक बाहरी, मध्य और आंतरिक. मनुष्य के कान के परदे के पीछे और आंतरिक कान के बीच में एक जगह होती है जिसे मिडल इयर यानी की मध्य कान कहा जाता है. जो कि हमारी श्रवण शक्ति में 80% भूमिका निभाता है.
आमतौर पर इस जगह पर हवा होती है लेकिन संक्रमण की स्थिति में इसमें पस या मवाद बनने लगता है इस स्थिति को ही को ओटिटिस मीडिया कहा जाता है. यह कोई सामान्य स्थिति नहीं है कान के अंदर ऐसा इन्फेक्शन हमें भारी नुकसान दे सकता है.
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यह इन्फेक्शन भी व्यक्ति को दो प्रकार से संक्रमित कर सकता है एक तो उसे क्षणिक ही बड़ा दर्द दे और दूसरा कि यह लंबे समय तक चलता रहे. इसके होने से हमें कान में तेज दर्द, कान में भारीपन और कम सुनाई देने लगता है. ज्यादा समय तक चलने से हमारे कान से खून भी आ सकता है.
अगर इस बीमारी का इलाज समय से ना किया जाए तो कान के मध्य भाग में बनने वाले पस के कारण कान का पर्दा पतला होकर फट जाता है. जिसके कारण कई लोगों का चेहरा टेढ़ा हो जाता है और उन्हें सुनाई देना बिल्कुल ही कम हो जाता है. इसके लंबे समय तक प्रभाव से हमारा कान हमेशा के लिए वह सकता है.
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क्या है बचाव और इलाज? इसके बचाव बड़े ही आसान है और यह हम सभी को जरूर ही करने चाहिए. वास्तव में कान की हड्डियां बड़ी ही नाजुक होती है, यह इतने नाजुक होती है कि एक थोड़े से दबाव से भी इनमें समस्या पैदा हो सकती है. हमें हमेशा अपने कान को साफ सुथरा बनाए रखना चाहिए लेकिन कभी भी उस में नुकीली चीजें कभी नहीं डालनी चाहिए.
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यदि है इंफेक्शन तत्कालीन ही बढ़ जाए तो इसके लिए कुछ विशेष दवाइयां और मवाद निकालने के लिए ऑपरेशन किया जाता है. लेकिन यदि कोई व्यक्ति लंबे समय से अपने कान में मवाद आने की समस्या से ग्रसित है, ऐसी स्थिति में सबसे ज्यादा संभावना यही है कि उस व्यक्ति के कान का पर्दा फट चुका है. ऐसे व्यक्ति के कान में छेद की वजह से उसके कान में नया पर्दा लगाया जा सकता है.
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यदि आप भी ऐसी बुरी आदतों से ग्रसित है तो आज ही सावधान हो जाइए. यह आपको सामान्य लग सकता है लेकिन हमारे शरीर के अंग इसे नहीं झेल पाते हैं. आजकल तो सभी लोग ईयर फोन और ना जाने क्या-क्या उपकरण कान में डालते रहते हैं जिनका कम ही प्रयोग किया जाए तो उत्तम है. लेकिन गलती से भी अपने कान में नुकीली चीजों का प्रयोग ना करें.