डिप्रेशन आजकल के समय में एक आम समस्या बन गई है. आजकल ऐसे लोग बहुत कम रह गए हैं जिन्हें जीवन में तनाव में नहीं है. मौजूदा लाइफस्टाइल और खानपान काफी खराब स्थिति में है और इसीलिए लोग तनाव के शिकार हो रहे हैं, इसके अलावा डिप्रेशन का मुख्य कारण लोगों की महत्वाकांक्षाएं भी है.
अब एक ऐसा इंसान जो अपनी परिस्थितियों या मुश्किल घड़ियों के कारण डिप्रेशन का शिकार हो चुका है उसके लिए जीवन एक बड़ा संघर्ष बन जाता है. वास्तव में ऐसे व्यक्ति के मुख्य तीन संघर्ष होते हैं जो उसको ज्यादा बीमार बनाते हैं.
पहला संघर्ष उसका खुद के साथ होता है. जब उस इंसान को अपना जीवन अस्त होता हुआ नजर आता है और उसे चारों ओर से उदासी और तनाव घेर लेते हैं. ऐसे व्यक्ति को चारों और असफलता महसूस होती है और उसे दुनिया किनारा करती हुई नजर आती है.
ऐसे में वह कुछ नहीं कर पाता और यह सोचता है कि आखिर मेरी जिंदगी में क्या हो रहा है? धीमे-धीमे ऐसे व्यक्ति का मनोबल पूरी तरह से मर जाता है और वह कुछ भी कहने की स्थिति में नहीं रह जाता.
व्यक्ति का दूसरा संघर्ष उसके अपने परिवार और अपने दोस्तों से होता है, क्योंकि सभी समय तनाव और उदासी के कारण परिवार वाले सवाल जवाब करने लगते हैं और उस पर तानाशाही बरतने लगते हैं. ऐसी स्थिति में बहुत कम परिवार मरीज का साथ देते हैं बल्कि यह कहते हैं कि डिप्रेशन जैसी कोई चीज नहीं होती और जीवन में खुश रहना सीखो.
यह वास्तविक होती है जब मरीज एक बार फिर सोचने लगता है कि आखिर ऐसा क्यों हो रहा है? तीसरा संघर्ष उसका अपने इलाज से होता है, क्योंकि ज्यादातर डॉक्टर मरीज को केवल दवाइयों की पोटली बनाकर भेज देते हैं और एक के बाद एक नई दवाई शुरू करते रहते हैं.
मरीज इस स्थिति में सबसे ज्यादा परेशान होता है क्योंकि वह सोचने लगता है यह आखिर उसे ऐसा क्या हुआ है कि दवाई लेने से भी वह ठीक नहीं हो रहा? यह स्थिति ज्यादा भयानक है क्योंकि उसे ज्यादातर नींद आने की गोलियां खिलाई जाती है.