आज हम बात करने जा रहे हैं राजस्थान के झुंझुनू जिले के गांव खुडा़ना की रहने वाली कविता जाखड़ के बारे में. जिनका कहना है कि उनके बचपन का सपना रहा था कि वह हमेशा खुद की बॉस बनी रहे. अब इस बात को उन्होंने सच भी कर दिखाया है जब वह एक एमबीए होकर गोबर बेचकर हर महीने 1 लाख रुपए महीना कमाती है.
कविता जाखड़ झुंझुनू जिले की रहने वाली है जिनके पिता एक रिटायर्ड फौजी है. कविता के पिता का नाम सुरेंद्र जाखड़ है जबकि मां का नाम मनोज है. कविता ने दिल्ली विश्वविद्यालय से अपनी स्नातक की पढ़ाई की जिसके बाद उन्होंने मुंबई की एक प्रतिष्ठित कॉलेज से एमबीए करने का निश्चय किया.
अभी उनके एमबीए की पढ़ाई चल ही रही थी कि कोरोना की वजह से लॉक डाउन हो गया और उन्हें अपने गांव खुडाना आना पड़ा. जिसके बाद उन्होंने अपना खुद का एक स्टार्ट बनाने का फैसला कर लिया.
काफी सोच विचार करने के बाद कविता ने झुंझुनू के रीको औद्योगिक क्षेत्र में वर्मी कंपोस्ट प्लांट लगाने का फैसला कर लिया.आज वह एक अच्छी कमाई कर रही है इसके साथ ही साथ वह दो लोगों को स्थाई रोजगार भी दे रही है.
करती है वक्त वर्मी कंपोस्ट और केचुंए का व्यापार
कविता जाखड़ ने बताया कि वर्मी कंपोस्ट में दो तरह की कमाई होती है. पहली कमाई वर्मी कंपोस्ट को बेचकर होती है और वह 8 रूपए प्रति किलो की दर से वर्मी कंपोस्ट बेचती है. इसके अलावा वह दूसरी कमाई केंचुए बेच कर भी करती है. कविता ₹300 प्रति किलो की दर से केंचुए बेचती है.
Kavita jakhar jhunjhunu pic.twitter.com/68GfVmoPPB
— news letter (@newslet83450621) April 26, 2022
इस कार्य में कविता की मां मनोज देवी उसका सहयोग करती है. कविता का कहना है कि गोबर पर केंचुए डालने के बाद करीब ढाई से तीन महा में कंपोस्ट तैयार हो जाता है. इसे छानकर मशीन से पैक कर दिया जाता है यदि सही तापमान और नमी मिले तो करीब 90 दिन में के दुगुने हो जाते हैं.
लोगों का स्वास्थ्य बेहतर करना भी लक्ष्य :–
कविता जाखड़ खुद का बिजनेस तो कर ही रही है इसके अलावा वह लोगों को रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के नुकसान से भी बचा रही है. कविता के उत्पादक झुंझुनू शहर के अलावा उदयपुरवाटी, चिड़ावा, नवलगढ़ सहित पूरे जिले में बिक रहे हैं. कविता का कहना है कि दिल्ली के आसपास क्षेत्र में भी उनका वर्मी कंपोस्ट जाता है. यह लोगों के एक बेहतर स्वास्थ्य की पहल भी है क्योंकि रसायनिक खाद वाले अनाज खाने से लोगों का स्वास्थ्य बुरी तरह प्रभावित होता है.