कामयाब होना तो हर कोई चाहता है परन्तु केवल सपने देखने से सपने पूरे नहीं होते। दिन रात कड़ी मेहनत ही हमें कामयाबी की सीढ़ी चढ़ा सकती है। जो शख्स चुनौतियों को चुनौती दे सके वही आगे बढ़ सकता है। आज हम एक ऐसे शख्स के बारे में बात करने वाले है जिसने 15 रुपये से 1600 करोड़ तक का सफर तय किया है। इन्होंने अपने हौसलों को इतना मजबूत बना लिया कि कोई उन्हें पीछे नहीं खींच पाया।
सुदीप दत्ता की कहानी
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किस्मत भी तभी साथ देती है जब इरादे मजबूत हो। जिंदगी जब असल रूप में लोगों के सामने आती है तो चौंका के रख देती है। कई लोग इस कठिन परीक्षा में अपने दुर्भाग्य को वजह बना कर हार मान लेते है या फिर कई लोग कठिनाइयों को हराकर अपना लक्ष्य हासिल करते है। जिस इंसान को जिंदगी ने बहुत अच्छी तरह परखा वह आज एक हिरा बन चमक रहा है।
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इनकी जिंदगी का सफर लोगों को प्रेरणा देता है। इनका नाम “सुदीप दत्ता” है। यह अभी “एस डी एल्युमीनियम” नाम की कंपनी के मालिक है। वही कंपनी जहाँ यह पहले एक मजदूर के तौर पर काम करते थे। पर सुदीप दत्ता की पहले इस कंपनी में आमदनी 15 रुपये प्रति दिन हुआ करती थी। जिसे आज इन्होंने 1600 करोड़ बनाकर दिखाया है। सुदीप दत्ता ने अपने मजबूत हौसलों से इसे मुमकिन बना के दिखाया।
पारिवारिक जीवन
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सुदीप दत्ता का जन्म 1972 में वेस्ट बंगाल के एक छोटे से गांव में हुआ था। इनके पिताजी फौज में थे, 1971 में हिंदुस्तान-पाकिस्तान की जंग में उन्हें गोली लग गयी थी। उस हादसे के बाद सुदीप दत्ता के पिता जी पेरालाईस हो गए। इस हादसे ने परिवार को झक-झोर के रख दिया था। इनका एक बड़ा भाई भी था, उनके पिता की इस हालत के बाद सारे परिवार की जिम्मेदारी उनके भाई पर आ गयी। परन्तु उनके भाई की तबीयत भी कुछ खास ठीक नहीं रहती थी। परिवार के हालात बिगड़ते जा रहे थे। यही कम नहीं, कुछ समय बाद उनके पिता और भाई की मृत्यु हो जाती है। परिवार काफी सदमे में था और कोई उम्मीद की किरण भी नज़र नहीं आ रही थी। इनका काफी बड़ा परिवार था और अब सारी जिम्मेदारी सुदीप दत्ता के कंधों पर थी।
जिंदगी का सफर
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17 साल की उम्र में उन्हें अपने पूरे परिवार को पालना था। इस समय इनके पास दो ही रास्ते थे पहला यह कि पढ़ाई छोड़ कर रिक्शा चलाना या दूसरा किसी होटल में वेटर का काम करना। पर उन्हें यह मंजूर नहीं था और उन्होंने तीसरे रास्ते को चुना। अमिताभ बचन की कहानियाँ उन्हें बहुत प्रेरित करती थी और बिना कुछ सोचे वह मुंबई चले गए। सुदीप दत्ता कहते है कुछ कर गुजरने के सपने और हौसले ने ही उन्हें इस रास्ते पर चलने के लिए मजबूर किया था। 1988 में मुंबई पहुंचने के बाद सुदीप दत्ता 15 रूपये प्रति दिन के हिसाब से एक मजदूर का काम करने लगे थे। काम के बीच-बीच में वह व्यापार के तरीकों को सीखने लगे थे। एक छोटे से कमरे में 20 लोगों के साथ उनको अपना गुजारा करना पड़ता था। ऐसे लग-भग 2-3 साल तक चला।
मजदूर से मालिक बनने का सफर
1991 में उनकी फैक्टरी के मालिक को एक बहुत बड़े नुकसान का सामना करना पड़ा। तभी उस मालिक ने फैक्टरी को बंद करने का फैसला लिया। यहीं से सुदीप दत्ता की दूसरी जिंदगी शुरू हुई। सफर ,एक बहुत बड़ा और कामयाब व्यापारी बनने का। सुदीप दत्ता ने कैसे न कैसे करके 16 हजार रुपये मिलाए और पहुँच गए फैक्टरी के मालिक के पास, वही डूबी हुई फैक्टरी खरीदने के लिए। इस फैक्टरी को खरीदने के लिए वह पर्याप्त पैसे नहीं थे परन्तु वह मालिक और नुकसान झेलना नहीं चाहता था। इसके लिए वह उन्हीं पैसों में मान गए।
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शर्त यह थी कि अगले 2 साल का मुनाफा उन्हें फैक्टरी के मालिक को देना होगा। सुदीप दत्ता मान गए और वह फैक्टरी उनके नाम हो गयी। वह मालिक तो बन गए परन्तु अब परिवार के साथ-साथ उधार का बोझ भी उन पर आ गया था। उस समय मार्केट में 2 ही कंपनी के भाव फायदे में थे। एक जिंदल और दूसरी इंडिया फॉयल लिमिटेड। कम्पटीशन और ज्यादा बढ़ने लगा था। बाज़ार में टिक पाना आसान नहीं था। परन्तु धीरे-धीरे अपने “स्ट्रेटेजी” (किसी लक्ष्य की प्राप्ति के लिये बनायी गयी “कार्ययोजना” को सामान्य अर्थ में रणनीति (Strategy) कहते हैं) के साथ कंपनी को आगे बढ़ाना शुरू कर दिया।
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उनकी मेहनत रंग लाने लगी थी। उसके बाद उन्हें कभी जिंदगी में पीछे मुड़ कर देखने की जरूरत नहीं पड़ी। परन्तु जिंदगी अभी भी उन्हें आजमा रही थी। उन्हें ऐसे ही कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। उसके बाद उन्होंने वेदांतु नाम की कंपनी को 130 करोड़ में खरीद भी लिया। वेदांतु काफी बड़ी और जानी-मानी कंपनी थी। इसके बाद उन्होंने फार्मा इंडस्ट्रीज़ में कदम रखा। पैकेजिंग इंडस्ट्रीज़ को छोड़ना उनका बहुत फैसला था। उनकी कम्पनीयाँ भारत के कई शहरों में है। इस.डी.डी अलुमिनियंस भारत की नंबर.1 कंपनी मानी जाती है।
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वो कहते है ना अगर किसी चीज को दिल से चाहो तो कोई आपको आपका लक्ष्य पाने से नहीं रोक सकता। बस बने रहे और मेहनत करते रहिए समय आने पर आपको सफलता अवश्य मिलेगी।