हमारे चारों ओर ऐसे लोग पाए जाते हैं जो अपने आप को बड़े ही बदकिस्मत समझते हैं, वहीं दूसरी और कुछ ऐसे लोग होते हैं जिनको देखने से ही उनकी खुशकिस्मती झलकती है. समाज में हमेशा से ही दो प्रकार के व्यक्ति पाए जाते हैं, एक वह जो हमेशा अपनी असफलता का रोना रोता रहता है और दूसरा वह जो कोशिश करके सफलता हासिल कर लेता है.
असफल व्यक्ति हमेशा यह कहता हुआ नजर आता है कि उसे किसी का समर्थन नहीं प्राप्त है, कुछ लोग ऐसा भी कहते हैं कि भगवान भी उन पर मेहरबान नहीं है. इसीलिए ज्यादातर लोगों को उम्मीद करते हैं कि उन्हें ज्यादा से ज्यादा लोगों के आशीर्वाद प्राप्त हो और ज्यादा से ज्यादा लोग उनकी शुभचिंता करें.
लेकिन मित्रों मनुष्य जीवन में ऐसा संभव नहीं है, यह बात लगभग नामुमकिन है कि आपको चारों तरफ से आशीर्वाद और शुभकामनाएं प्राप्त होती रहे. तो आप किससे आशीर्वाद लेंगे ? इस विषय में आध्यात्मिक गुरु श्री सद्गुरु कहते हैं कि मनुष्य को हमेशा अपने आसपास की प्रकृति से यानी सृष्टि से आशीर्वाद लेना चाहिए.
यह बात सुनने में थोड़ी विचित्र है लेकिन यह सब विदित है कि हमारे आसपास की प्रकृति स्वयं में एक विज्ञान है. यह किसी भी मनुष्य को इतना प्रभावित करती है जितनी कि अन्य कोई भी चीज नहीं करती. यदि आपके चारों और एक मददगार माहौल है तो आपको अन्य किसी से उम्मीद करने की कोई आवश्यकता नहीं है.
स्पष्ट रूप से कहे तो किसी भी मनुष्य को अपने प्रकृति के निकट होना चाहिए, यह जीवन का एक बेहतर प्रयोग है. आपने अपने पास उगे हुए पेड़ को लेकर दया भाव है तो आप जीवन में सफल हो सकते हैं, यदि आपको हमारे सूर्य, चंद्रमा, धरती और पेड़ पौधों से कोई फर्क ही नहीं पड़ता है तो वास्तव में आप कुछ नहीं कर सकते.
यदि हम हमारे जीवन के लिए हर उस कारक के प्रति आभारी रहते हैं जिसकी वजह से हम जिंदा हैं तो यह मनुष्य जीवन के लिए एक वरदान होगा. प्रकृति के नजदीक रहिए, सूर्य की गर्मी से अपना स्वास्थ्य निर्मित कीजिए चंद्रमा की छांव में गहरी नींद लीजिए और पेड़ पौधे लगाकर अपने घर की शोभा बढ़ाइए.
यह सभी चीजें पर्यावरण से ज्यादा हमारे मन को लाभ पहुंचाएंगी, क्योंकि अगर आप प्रकृति की गोद में जाकर बैठते हैं तो आप खुद महसूस करेंगे कि आपकी समस्या अपने आप ही खत्म हो रही है. यह वह स्थिति होगी जब संपूर्ण सृष्टि आपकी मदद करने आएगी, यह कोई अतिशयोक्ति या कल्पना नहीं है ऐसा हमेशा से होता आया है.