अगर आप 90 के दशक में पैदा हुए हैं या उससे पहले आपका जन्म हो चुका है तो आप से अब तक कई प्रकार के सिक्के देखे होंगे! प्राचीन समय से ही सिक्कों का प्रचलन रहा है चाहे कोई भी राजा रहा हो या कैसी भी परिस्थिति रही हो!
वर्तमान समय में भी कई प्रकार के सिक्के प्रचलित है. हालांकि उनकी बनावट अब पहले जैसी नहीं रही और इस बात में भी कोई दो राय नहीं है कि मुद्रास्फीति के कारण अब सिक्कों का ज्यादा मोल भी नहीं रह गया है. लेकिन फिर भी कहीं ना कहीं तो इनकी आवश्यकता जरूर पड़ती है और हमें अपनी जेब में सिक्के भी रखने पड़ते हैं.
अगर आपने इन सिक्कों को ध्यान से देखा हो तो आप पाएंगे कि कई सिक्कों में हाथ के निशान बने हुए होते हैं. अब आप शायद ऐसा भी सोच रहे होंगे कि यह शायद ऐसे ही डिजाइन के लिए होते हैं. लेकिन आपको बता दें कि सिक्कों पर छपे हुए निशान मात्र डिजाइन के लिए नहीं होते बल्कि इनका अपना एक महत्व होता है. यह कुछ विशेष कारणों के कारण ही छपे हुए होते हैं.
यह है कारण !
आपको बता दें कि इन सिक्कों की डिजाइन का काम नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ डिज़ाइन के प्रोफेसर अनिल सिन्हा ने किया था. इन सिक्कों पर जॉब डिजाइन देखते हैं यह डिजाइन भरतनाट्यम डांस की मुद्राएं हैं और यह मुद्राएं ही एक और दो रुपये के सिक्कों के बारे में बताती है.
इस प्रकार से यह हस्त मुद्राएं हैं.जो इशारों के जरिए हमें बताती है कि इस सिक्के का मोल क्या है! साथ ही आपको यह बता दें कि इन सिक्कों का प्रचलन 2007 में आया था जिनमें 83 फ़ीसदी आयरन और 17 फ़ीसदी क्रोमियम मिला होता है.
इसके अलावा इसमें कुछ अल्प अंश मिश्र धातुओं के भी होते हैं लेकिन यह मात्रा में काफी कम है.हम उम्मीद करते हैं कि हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपके लिए सहायक सिद्ध होगी और इसके द्वारा आपके प्रश्नों का उत्तर भी अवश्य मिला होगा.