स्रोत -The man in the high castle- पहले विश्व युद्ध में भयंकर नरसंहार और त्रासदी पहले आने के बाद भी जर्मनी के हिटलर को इस युद्ध में हार का सामना करना पड़ा था. अपनी हार से आक्रोशित हिटलर ने एक बार फिर विश्व को विश्वयुद्ध का आवाह्न दे दिया था. परिणाम स्वरूप सन् 1939 में द्वितीय विश्व युद्ध का आगाज हो चुका था. दुनिया में एक तरफ फ्रांस, रूस, इंग्लैंड और उनका सहयोगी अमेरिका था तो दूसरी तरफ जर्मनी, ऑस्ट्रिया, इटली और इनका सहयोगी जापान था. दुनिया भर के सभी देशों प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष इन दो गुटों में विभाजित हो चुके थे.
1939 में शुरू होकर द्वितीय विश्व युद्ध 1945 तक चला था. जहां अंत में एक बार फिर जर्मनी को हार का सामना करना पड़ा. अपने करारी हार को सामने देख हिटलर यह समझ चुका था कि जिंदा नहीं बचने वाला, और इससे पहले ही हिटलर ने आत्महत्या कर ली. 1945 में उसने अपने आप को गोली मार दी थी. और इसी के साथ द्वितीय विश्वयुद्ध पूर्ण समाप्त हो चुका था. लेकिन इन 6 सालों में हिटलर ने अत्याचार की सभी सीमाएं पार कर दी थी.
Download Now – यह एप्प इंस्टॉल करने के लिए यहाँ क्लिक करें! (Sponsored)
Download Now – यह एप्प इंस्टॉल करने के लिए यहाँ क्लिक करें! (Sponsored)
उसने इतने लोगों को मौत के घाट उतार दिया कि हम सोच नहीं सकते. पहले विश्वयुद्ध में लगभग तीन करोड़ लोगों की मौत हो चुकी थी और उसके कुछ ही सालों बाद द्वितीय विश्व युद्ध में आठ करोड़ से ज्यादा लोग मारे गए थे. यह उस समय संसार का एक बहुत बड़ा जनसंख्या भाग था जिसके बाद संसार की सूरत बदल कर रह गई. अब सवाल यह पैदा होता है कि अगर अत्याचारी हिटलर द्वितीय विश्वयुद्ध जीत जाता तो आज संसार की सूरत होती?
जानिए नस्लवादी हिटलर के सपने:- हिटलर एक नस्लवादी किसम का आदमी था, वह लोगों में उनकी जाति के आधार पर बहुत भेदभाव करता था. अपनी इसी क्रूर मानसिकता के कारण उसने जर्मनी के नक्शे से यहूदी लोगों का अस्तित्व मिटाने की ठान रखी थी. उसने यहूदियों पर इतने अत्याचार किए कि जिसकी कल्पना भी मुश्किल है. इसीलिए स्पष्ट है कि अगर हिटलर यदि विश्व युद्ध जीत जाता तो वह दुनिया के नक्शे से यहूदियों का नामोनिशान मिटा देता. वह यूरोप से तो यहूदियों को मिटाता ही साथ ही आज इस दुनिया में “इजरायल देश” का अस्तित्व नहीं होता.
ये भी पढ़ें- शहीद होने के बाद भी कर रहे ड्यूटी, जांबाज देशभक्त “हरभजन सिंह” की आत्मा आज भी देती है सीमा पर पहरा-
इसके अलावा हिटलर जर्मनी को दुनिया की सुपर पावर बनाने का सपना देखता था, और द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापान ने भी जर्मनी से हाथ मिला लिया था. इसीलिए जापान अपने संसाधनों की कमी पूरा करने के लिए चीन समेत कोरिया, वियतनाम, लाओस और कंबोडिया पर पूर्ण आधिपत्य करना चाहता था. अगर द्वितीय विश्वयुद्ध जर्मनी जीत जाता तो स्पष्ट रूप से भारत के सीमावर्ती राज्यों में जापान अपना आधिपत्य अवश्य जमाता. क्योंकि यह इलाके के प्राकृतिक संसाधनों से लबरेज है. लेकिन वहीं दूसरी ओर हिटलर के जीत जाने से विश्व में कुछ अच्छी चीजें होने की भी संभावना थी.
“हिटलर” के जीतने से क्या हो सकती थी भलाई?-
लाखों लोगों को मौत के घाट उतारने वाला एडोल्फ हिटलर अपने आप में एक विचित्र व्यक्तित्व था. आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि हिटलर पूर्ण शाकाहारी था. उसे मांसाहार का सेवन करने वाले लोगों से सख्त नफरत थी. इसी के साथ हिटलर पशु क्रूरता के सख्त खिलाफ था.
इसीलिए संभावना थी कि यदि हिटलर विश्व युद्ध जीत जाता है तो शायद वह अधिकतम इलाकों में से पशु क्रूरता पर संपूर्ण प्रतिबंध लगा देगा. जैसा कि हम जानते हैं लोग अपने स्वाद के लिए प्रतिदिन लाखों जानवरों को मौत के घाट उतार देते हैं और बड़े चाव से उन्हें तलकर खा जाते हैं. हिटलर के जीतने से मांसाहार के सेवन पर कड़े प्रतिबंध होने की संभावना थी.
ये भी पढ़ें- शहीद होने के बाद भी कर रहे ड्यूटी, जांबाज देशभक्त “हरभजन सिंह” की आत्मा आज भी देती है सीमा पर पहरा-
केवल इतना ही नहीं हिटलर स्वयं कभी धूम्रपान का सेवन भी नहीं करता था. उसने जर्मनी में कई वर्षों तक धूम्रपान के सेवन पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया था. इसीलिए यह भी संभावना है कि हिटलर के जीतने से धूम्रपान के उत्पादन एवं उसके सेवन पर भी प्रतिबंध लगा दिया जाता. जैसा कि हम जानते हैं आज धूम्रपान की लत ने लाखों लोगों का जीवन नर्क बना दिया है एवं उनको कैंसर जैसी भयानक घातक बीमारियां दे दी है.
ऐसे में किसी भी सूरत में धूम्रपान के अधिक सेवन को ठीक नहीं बताया जा सकता, हालांकि कुछ विशेष अवसरों पर कभी कबार धूम्रपान का सेवन हमारे स्वास्थ्य के लिए इतना नुकसानदायक नहीं है. लेकिन यहां समस्या एक यह भी है कि धूम्रपान का सेवन शुरू करने के बाद हमारे शरीर को इसकी लत लग जाती है जो हमारा जीवन बर्बाद कर सकती है.