आज 21वीं सदी में समय और संस्कृति ने अपने आप में पूरी तरह से बदलाव कर लिए हैं. किसी जमाने में बहुत बड़ी कही जाने वाली बात है आजकल काफी गौण हो चुकी है और इसके साथ ही लोगों की महत्वकांक्षाएं भी काफी बढ़ चुकी है.
इस बदलते समय के साथ ही फिल्म जगत ने भी अपने आप को पूरी तरह से बदल दिया है और अब फिल्मी कहानियां हर प्रकार के किस्से और सीन दिखाने के लिए खुल चुके हैं. लेकिन हमेशा से ऐसा नहीं हुआ करता था. इसी कड़ी में आज हम फिल्मी दुनिया के अस्तित्व के शुरुआती दिनों के ऑडिशन के तरीके के बारे में चर्चा करने जा रहे हैं.
हम कुछ स्त्रोतों और तस्वीरों के माध्यम से यह जानने का प्रयास करेंगे कि आखिर 1951 के दौर और उसके समिया काल में किस प्रकार से फिल्मों के लिए ऑडिशन लिए जाते थे! इस आर्टिकल में हम जो आपको तस्वीरें दिखाने जा रहे हैं यह तस्वीरें जेम्स बुर्के ने क्लिक की थी.
जो उस समय के एक जानी-मानी मैगजीन में पब्लिश हुई थी. इन तस्वीरों में देखा जा सकता है कि फिल्म जगत के जाने माने निर्देशक अब्दुल रशीद करदार लड़कियों का स्क्रीन टेस्ट ले रहे हैं.
निर्माता खुद लिया करते थे ऑडिशन
आज के दौर में जहां ऑडिशन लेने के लिए एक टीम का निर्माण किया जाता है वही पहले के जमाने में निर्देशक और निर्माता खुद ही अभिनेत्री का ऑडिशन लिया करते थे. साथ ही ऑडिशन देने वाली लड़की को निर्देशकों और निर्माताओं के तमाम सवालों का जवाब भी उनके सामने बैठ कर देना होता था.
निर्देशक के सामने ही होना पड़ता था तैयार
1951 मे फ़िल्म ऑडिशन की कुछ अनदेखी तस्वीरें pic.twitter.com/HS5IvPss1O
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उस दौर में ऑडिशन देने के बाद लड़कियां घर से तैयार होकर नहीं आती थी बल्कि ऑडिशन देने वाली लड़कियां निर्देशक के सामने ही तैयार हुआ करती थी. इसी कड़ी में लड़कियों के अभिनय के साथ ही साथ उनके पूरे लुक को भी बारीकी से चेक किया जाता था.
Film audition in 1951 pic.twitter.com/6kQh9Ab1iA
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अपनी फिल्मों में हीरोइन चुनने के लिए निर्देशक बहुत बारीकी से अभिनय के साथ-साथ हर चीज का खासा ख्याल रखा करते थे. उनके बालों से लगाकर उनके ड्रेसिंग तक हर चीज का बारीकी से परीक्षण किया जाता था. बता दें कि उस दौर के हिसाब से किसी भी अभिनेत्री में बेहद आत्मविश्वास और हिम्मत का होना काफी आवश्यक था.
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क्योंकि उस जमाने के लिए लिहाज से यह काफी बड़ी बात हुआ करती थी. ऐसे में समाज की बेड़ियों को तोड़कर निर्देशक निर्माताओं के सामने बेबाक अपने बातों को रखने वाली लड़कियों की खासी कमी हुआ करती थी. अगर वह रिजेक्ट होती तो कहीं ना कहीं उन्हें समाज में अवहेलना का शिकार भी होना पड़ता था ऐसे में ऑडिशन देने वाली अभिनेत्री में बेहद आत्मविश्वास आवश्यक था.