वर्ष 2021 के अगस्त महीने में अफगानिस्तान में तालिबान का कब्जा हो गया, जिसके बाद वहां की हालत बेहद खस्ता हो गई. सियासी हालत तब्दील होने की वजह से सामान्य जनजीवन का हाल बेहद बुरा हो गया.
महिला अधिकारों समेत देश की शिक्षा नीति एकदम से चरमरा गई, रोजगार और बिजनेस समेत सभी नौकरियां चौपट हो गई. अब जब देश में है सारे काम धंधे चौपट हो गए तो सामान्य सी बात है कि वहां लोगों को धन कमाने में तो दिक्कत अवश्य आएगी.
यह व्यापारी वर्ग से लगाकर कामकाजी हर व्यक्ति अपनी आजीविका के लिए परेशान हो रहा है. जिनके पास मोटे पैसे थे उनका गुजारा तो फिर भी हो रहा है लेकिन अधिकतम जनसंख्या ऐसी है जिनके पास दो वक्त की रोटी खाने के पैसे भी नहीं है.
पूरे अफगानिस्तान में कई ऐसे परिवार हैं जो संख्या में काफी बड़े हैं और उनके पास करने के लिए कोई काम नहीं है इस वजह से उन्हें भूखे सोना पड़ रहा है. तालिबान के कब्जे के बाद अफगानिस्तान में होने वाली विदेशी फंडिंग भी बंद हो चुकी है.
इस वजह से यहां लोग बेहद कम दाम पर अपनी किडनी और अन्य अंग बेचने को तैयार है. केवल इतना ही नहीं बड़े बड़े परिवारों वाले लोग अपने बच्चे बेचने के लिए भी तैयार है. देश में एकदम से ही लाखों लोग गरीबी रेखा से बेहद नीचे आ चुके हैं.
अफगानिस्तान के यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर नासिर अहमद का कहना है कि 2021 में उन्होंने 85 किडनी ट्रांसप्लांट दोनों पक्षों की सहमति से कर दिए हैं जो किसी भी वर्ष से ज्यादा है. इसका मतलब यहां किडनी ट्रांसप्लांट का क्रेज बढ़ रहा है.
बताया जा रहा है कि यहां पर लोग मात्र 15-20 हज़ार में अपनी किडनी बेचने को तैयार है. लोगों का कहना है कि उन्हें किसी भी तरह से अपना पेट पालने के लिए पैसे चाहिए क्योंकि उनके पास कोई भी काम धंधा नहीं बचा है.
अफगानिस्तान में रहने वाली हेरात के एक छोटे से गांव की महिला ने बताया कि 6 महीने पहले उसका 3 साल का बेटा भूख से बिलख बिलख कर मर गया. केवल इतना ही नहीं अफगानिस्तान के इंजिल जिले में रहने वाले एक परिवार का कहना है कि वह अपने बच्चों का पेट पालने के लिए उनको बेचने को भी तैयार है. क्योंकि वह उन्हें हर रात को भूख से बिलखता हुआ नहीं देख सकते और उनके पास खाने के लिए कुछ नहीं है. इस परिवार में कुल 8 बच्चे हैं और इसीलिए उन्होंने अपने सबसे छोटे बच्चे को बेहद कम दाम पर बेचने का फैसला कर लिया है.