2013 में हमारे महत्वपूर्ण धाम केदारनाथ की त्रासदी ने तो हर किसी को भयभीत कर दिया था. यह पहले इतना भयानक था कि इसने हजारों लोगों की जिंदगी और ले ली और अपने रास्ते में आए भवनों, सड़कों सभी को नीचे गिरा दिया. तो यदि ऐसी त्रासदी वापस आ जाए तो क्या होगा? इसके लिए सरकार ने 7 वर्षो में कई विशेष काम किए हैं, सरकार लगातार केदारनाथ में सुविधाएं वापस लाने के लिए कार्यरत है. क्योंकि केदारनाथ में किसी भी समय प्रलय का आना कोई आश्चर्यजनक बात नहीं होगी.
इसलिए इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाना सरकार की मजबूरी सी थी. लेकिन केदारनाथ में पुनर्निर्माण करना इतना आसान नहीं है, इसका कारण केदारनाथ की भौगोलिक स्थिति और वहां का मौसम है. बड़े-बड़े ऊंचे पहाड़ों पर स्थित इस जगह पर पांच-छह महीने तो केवल बर्फबारी ही होती है और किसी भी समय बारिश के आने का खतरा होता है. एक ही दिन में यहां कई बार मौसम बदलता है, ऐसे में एक निरंतर निर्माण कार्य को जारी रखना कोई आसान काम नहीं है.
11 हजार फुट ऊपर मशीनों और मजदूरों को ले जाने के लिए हेलीकॉप्टर का सहारा लेना पड़ता था एक महंगा सौदा है. कई बार तो बड़ी मशीनों को ऊपर लाने के लिए 70– 80 मजदूरों की एक टोली टुकड़ों में उसे पालकी में लेकर आते थे. सोचिए उन्हें कितनी परेशानी होती होगी? लेकिन इसका पुनर्निर्माण आवश्यक है क्योंकि यह भारत का एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है, ऐसे में यदि यहां किसी भी समय त्रासदी हो जाए तो फिर से हजारों लोगों का जीवन खतरे में पड़ जाएगा.
केदारनाथ की सुरक्षा के लिए सरकार ने यहां तीन स्तरीय सुरक्षा की व्यवस्था की है. यह पूरे केदारनाथ मंदिर के पीछे बड़ी लंबी दीवार का निर्माण करवाया गया है, यह दीवार बहुत लंबी और मजबूत है. इसमें विशेष प्रकार की मजबूत सीमेंट और कई धातु का प्रयोग किया गया है. यदि कोई ग्लेशियर पिघल जाए या किसी भी नदी में बाढ़ आ जाए तो वह पानी इस दीवार को पार नहीं कर पाएगा. इनके अलावा 2013 के नुकसान के बाद मंदिर की भव्यता की भी क्षति हुई थी.
जिसको वापस सुचारु करने के लिए इसकी भव्यता में भी अच्छा-खासा काम किया गया है. मंदिर के ठीक सामने भव्य मुख्य मार्ग का निर्माण किया गया है जिससे पूरा मंदिर स्पष्ट दिखाई देता है. वार्ड में कई लोगों के घर और दुकानें भी नष्ट हो गई थी. जो दुकानें नष्ट हो गई उनका बी पुनर्निर्माण किया जा चुका है. यदि आप भी केदारनाथ की यात्रा करेंगे तो आपको वहां विशेष बदलाव दिखाई देंगे.
इसके अलावा पूरे स्थल की परकोटे की सहायता से विशेष सुरक्षा का इंतजाम किया जा रहा है. मंदिर के पास ही जगत प्रसिद्ध शंकराचार्य की समाधि बनाने के लिए भी लगातार निर्माण कार्य हो रहा है. अब मंदिर के बिल्कुल ठीक पास में ही शंकराचार्य की समाधि भी बनाई जाएगी. इसके अलावा किसी भी स्थिति में बाढ़ का पानी मंदिर को क्षति ना कर सके, इसके लिए पानी को रोकने के लिए बड़े गर्त बनाए गए हैं जिससे पानी उनमें समा जाए.