हाल ही में केंद्र सरकार ने 1970 के दशक में एशियाड गांव में कलाकारों को किराए पर आवंटित किए गए सरकारी घरों को खाली कराने के आदेश दे दिए हैं. इनमें से कई घरों को खाली करा भी दिया गया है जिनमें कई पदम् और संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार प्राप्त लोगों के नाम शामिल है.
जैसा कि आप सभी जानते हैं पदम् श्री देश का चौथा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान है. इन्हीं प्रतिभावान लोगों में एक व्यक्ति 91 वर्षीय ओडिसी नृत्य कलाकार गुरु मायाधार राउत भी है जिन्हें 2010 में राष्ट्रपति की ओर से ऑडिशी नृत्य को शास्त्रीय संगीत में दर्जा दिलाने के लिए अहम भूमिका निभाने हेतु पदम श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.
गुरु मायाधार की बेटी और ओडिसी नृत्यांगना मधुमिता राउत ने कहा है कि ‘हम लोग दोपहर का खाना खा रहे थे. तभी कई अधिकारी हमारे घर पर आ गए और आज मुझे काफी दुख हुआ है. क्योंकि मेरे पिता एक नृत्यक है जिन्होंने अपना पूरा जीवन इसी को समर्पित किया और देश के कुछ प्रसिद्ध लोगों को भी इसके लिए प्रशिक्षित किया है.
आज वह उम्र के अंतिम पड़ाव पर पहुंच चुके हैं और उनके पास एक टुकड़ा जमीन भी नहीं है. वह 50 सालों से दिल्ली में रह रहे हैं और उनके साथ इतनी क्रू’रता ठीक नहीं है. उन्हें इस तरीके से अपमानित करके निकाला नहीं जाना चाहिए क्योंकि वह सम्मान के पात्र हैं’.
गौरतलब है कि 1970 के दशक में 40 से 70 आयु वर्ग के सभी कलाकारों को बेहद कम किराए पर सरकार की ओर से 3 साल के कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर आवंटित किए गए थे. जिसके बाद इस कॉन्ट्रैक्ट को हर 3 साल की अवधि के बाद लगातार बढ़ाया जा रहा था. लेकिन अब सभी कलाकारों पर अचानक ही घर खाली करने का दबाव बढ़ाया गया जिसके बाद अब उसने घर से निकाल दिया गया है.
इन कलाकारों में स्वर्गीय कथक कलाकार बिरजू महाराज, द्रुपद कलाकार वशीफुद्दीन डगर, कुचिपुड़ी कलाकार गुरु जय रामा राव और मोहितयम कलाकार भारती शिवाजी भी शामिल है जिन्होंने इस सरकार के फैसले के बाद कोर्ट जाने का निर्णय लिया है.