जब विधानसभा चुनाव होते है तो बहुत चेहरे चुने जाते है जिन्हें हम विधायक कहते है। इन विधायकों को काम करने के लिए सैलरी भी मिलती है। अपने राज्य में काम करने के लिए उन्हें यह सैलरी दी जाती है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने विधायकों की सैलरी बढ़ा दी है। लगभग 90,000 हजार तक की सैलरी अब विधायकों को मिलेगी।
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केबिनेट ने 3 अगस्त को इस प्रस्ताव को मंजूरी भी दे दी है। 2015 में दिल्ली की आम आदमी पार्टी ने विधायकों की सैलरी बड़ा कर लगभग 2 लाख करने का प्रस्ताव भेजा था। परन्तु सैलरी को इतना बढ़ाने से केंद्र सरकार ने मना कर दिया और सुझाव दी की इसे बढ़ा कर 90,000 तक जरूर कर सकते है। इसी सुझाव पर अब मोहर लग चुकी है।
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अब विधायकों की सैलरी कुछ इस प्रकार से होगी –
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- बेसिक वेतन 30 हजार रुपये प्रति माह।
- चुनाव क्षेत्र भत्ता 25 हजार रुपये प्रति माह।
- सचिवालय भत्ता 15 हजार रुपये प्रति माह।
- वाहन भत्ता 10 हजार रुपये प्रति माह।
- टेलीफोन के 10 हजार प्रति माह सैलरी की गई है।
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देश के कई ऐसे राज्य है जिनके विधायकों को दिल्ली से ज्यादा सैलरी मिल रही है। कुछ राज्य ऐसे भी है जहां के विधायकों को दिल्ली के मुताबिक काफी कम सैलरी मिलती है। तेलंगाना में विधायकों को सबसे ज्यादा 2.5 लाख रुपये तक की सैलरी मिलती है और दूसरी तरफ त्रिपुरा के विधायकों को केवल 25,890 रुपये सैलरी मिलती है।
दिल्ली के मुताबिक सबसे ज्यादा सैलरी मिलने वाले यह राज्य है –
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- तेलंगाना – 2 लाख 50 हजार रुपये।
- राजस्थान – 1 लाख 42 हजार 500 रुपये।
- आंध्र प्रदेश – 1 लाख 25 हजार।
- गुजरात – 1 लाख 5 हजार।
- यूपी – 95 हजार रुपये।
दिल्ली से कम सैलरी पाने वाले राज्यों में –
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- मिजोरम – 65 हजार रुपये प्रति माह।
- नागालैंड – 35 हजार रुपये प्रति माह।
- त्रिपुरा – 25 हजार 890 रुपये प्रति माह।
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सोचने वाली बात यह है कि चुनाव में तो पैसे पानी की तरह बहाये जाते है। बहुत से राज्यों में सैलरी के अलावा और भी बहुत सी सहायताएँ भी मिलती है। जिसके कारण कम सैलरी उनके लिए परेशानी का कारण नहीं बनती।
विधायकों को राजधानी में रहने के लिए मकान, किरायों में छूट जैसी सेवाएं उन्हें प्रदान की जाती है। राज्यों के विधायकों को अलग तरीके से यह सैलरी और सुविधाएँ प्रदान कराई जाती है।