कहा जाता है खुद में अगर कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो जीवन की सभी समस्याएं गौण हो जाती है. जीवन में समस्याएं एक प्रकार की परीक्षा होती है और इस परीक्षा को पार करने वाले के लिए जीवन आनंदमय बन जाता है. इसी बात को सच कर दिखाया है उत्तर प्रदेश के एक नौजवान ने.
दरअसल उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में रहने वाले रवि प्रसाद का जन्म एक ऐसे परिवार में हुआ था जिन्हें काफी मेहनत के बावजूद भी भयंकर आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा था.
रवि प्रसाद के पिता मजदूरी करके अपने परिवार का पेट पाल रहे थे और किसी तरह से गुजर बसर कर रहे थे. यह काफी कठिन समय था जब रवि प्रसाद की पढ़ाई चल रही थी और इस समय भी उन्हें काफी मुश्किल झेलनी पड़ रही थी.
लेकिन यह तंगी भी और ज्यादा खराब हो गई जब उनकी मास्टर्स समय उनके पिताजी चल बसे. हादसे में रवि प्रसाद के पिताजी की मौत हो गई और अब घर की जिम्मेदारी रवि प्रसाद पर आ गई. उस समय रवि प्रसाद के पास करने को कुछ नहीं था और उन्हें चाह कर भी कोई नौकरी नहीं मिल पा रही थी.
जैसे तैसे गुजारा चल रहा था, तभी 2016 में रवि प्रसाद का अपने कुछ साथियों के साथ दिल्ली आना हुआ. शायद अब उनकी किस्मत पलटने वाली थी तभी वह अचानक से ही प्रगति मैदान गये. प्रगति मैदान में उन्होंंने एक ऐसा स्टॉल देखा जिसमें कुछ दक्षिण भारतीय लोग बनाना वेस्ट से हैंडीक्राफ्ट के आइटम बनाकर बेच रहे थे.
रवि प्रसाद ने इसी आईडिया पर काम करने का निश्चय किया क्योंकि उनके यहां के लिए की पैदावार अच्छी होती है. लोग फल निकल जाने के बाद बाकी बचे सामान को कचरा समझ कर फेंक देते हैं लेकिन उनके दिमाग में खटका कि इसका व्यापार किया जा सकता है.
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रवि प्रसाद ने इस आईडिया पर काम किया और केला की पैदावार के फल बिक्री के बाद बनाना वेस्ट से कारोबार करना शुरू किया, उन्होंने इस तरह तरह के आइटम बनाकर पेश किए इसके अलावा उन्होंने इसे साबुत भी बेचना शुरू किया.
साल भर में ही उनके इस काम में उन्हें सफलता मिलने लगी और आज रवि प्रसाद अपने इस कारोबार से लाखों रुपए कमा रहे हैं. प्रसाद ने इसमें कई बड़े बदलाव भी किए हैं और अब तक उन्होंने 450 महिलाओं को अपने यहां नौकरी पर भी रखा हुआ है.