आपने अफसरों के विदाई समारोह तो बहुत देखे होंगे परन्तु सिपाही डॉग्स की विदाई समारोह के बारे में शायद ही जानते हो। लेकिन आज हम आपको डॉग के विदाई समारोह के बारे में बतायेगे। यह वह सिपाही है जिन्होंने दिल्ली की लाइफ लाइन मेट्रो को और लाखों यात्रियों की सुरक्षा के लिए पूरी निष्ठा से ड्यूटी निभाई। इनके दम पर दिल्ली की मेट्रो में यात्रा सुरक्षित रही।
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अभी हाल ही में सीआईएसएफ (CISF) के सात डॉग कमांडो का विदाई समारोह हुआ। दिल्ली मेट्रो की सुरक्षा के लिए यह हर चुनौती पूर्ण भूमिका निभाने के लिए तैयार रहे। ताकि लाखों यात्री आराम से मेट्रो में अपना सफर तय कर सके उसके लिए यह तैनात रहते थे।
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यह डॉग विस्फोटक ढूंढ़ने में माहिर होते है ताकि यात्रियों की सुरक्षा में कोई आंच न आए। इन कमांडो ने न जाने कहा-कहा ड्यूटी की है। जहाँ इनकी जरूरत हुई इन्होंने बड़े अच्छे से ड्यूटी निभाई है। इनके विदाई समारोह में जितने भी इनके हैंडलर है वह सभी बड़े भावुक है।
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जिन फ़ौजियों ने इन डॉग्स को संभाला उनके इन डॉग की विदाई पर दिल दुखने लग गया। इनका विदाई समारोह बिलकुल उस तरह से किया गया जैसा किसी अफसर के लिए समारोह हो।
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यह सभी डॉग विस्फोटक ढूंढने में माहिर होते है और इसके लिए इन्हें काफी ट्रेनिंग के बाद ही ड्यूटी पर भेजा जाता है। हैंडलर (वह फौजी कमांडो जो डॉग के साथ रहते है) से कहा कि इन डॉग्स ने उनका बहुत साथ दिया है व इनसे दूर होने का उन्हें दुःख है। अपने इतने करीबी को दूर जाते देख कर भावुक होना वाजिब है।
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सागर कुमार ने CISF को ट्वीट करते हुए लिखा- “CISF की मेट्रो यूनिट के आज 7 डॉग रिटायर हो गए है। ये बेजुबान जिनकी वजह से हम सबने एक दिल्ली मेट्रो में सुरक्षित यात्रा की। ये आज गोल्डी, हनी, बरोनी, सैंडी, कोजी और सकूबी रिटायर हो गए। सलूट कीजिये इन बेजुबानों को।”
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इन डॉग्स में एक डॉग लेब्रा ब्रीड नामक गोल्डी जिसकी उम्र करीब 10 साल है। दूसरा भी लेब्रा ब्रीड है जिसकी उम्र भी 10 साल है। लेब्रा ब्रीड प्रोनी उम्र 10 साल , जेक उम्र 8 साल, जर्मन शेफर्ड कोजी, जर्मन शेफर्ड स्कूबी, और सातवें है जैक को लेब्रा ब्रीड के है।
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इन सभी में केवल जर्मन शेफर्ड और लेब्रा के कमांडो ही आपको देखने को मिलेंगे। इनमें जैक को छोड़ कर सभी महिलाएं है। इन सभी की 8 से 10 वर्ष की सेवा पूरी हो गयी और अब इनके विदाई का समय आ गया।
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इनको रिटायरमेंट के बाद फ्रीइंडिकोज़ नाम की संस्था को सौंप दिया जाता है। वही संस्था इन डॉग्स की आगे की जिंदगी का ख्याल रखती है। इसके साथ-साथ वहां जाके भी यह सुनिश्चित किया जाता है कि इन कमांडो डॉग का ख़याल अच्छे से रखा जाए।