भारतीय संस्कृति में सलवार कमीज अपना एक अहम रोल लगता है. भारतीय समाज में विभिन्न महिलाएं वर्षों से इसे पहनती है. हालांकि अब सलवार कमीज के कई रूप सामने आ चुके हैं और महिलाएं इसे पैंट कुर्ती और कुर्ती प्लाजो के रूप में में पहनने लगी है.
आज हम इसके इतिहास पर थोड़ी सी नजर डालते हैं और जानते हैं कि इसको पहनने की शुरुआत कब हुई? यह भी जानेंगे कि शुरुआती दौर में सलवार कमीज कैसा दिखाई देता था?
कहां से हुई शुरुआत ? अगर हम सलवार कमीज के पहनावे के इतिहास पर नजर डालें तो हमें पता चलता है कि मूल रूप से यह एक पंजाबी वेशभूषा है. इसे सबसे पहले पंजाबी महिलाओं ने पहनना शुरू किया था. जिसके बाद से यह चारों और मशहूर हुआ और आज इसे हर वर्ग और हर उम्र की महिलाएं एवं लड़कियां पहनना पसंद करती है.
अभी आपको यह भी बता दे की सलवार कमीज उ’र्दू भाषा में आया फा’रसी शब्द है. इसकी उत्पत्ति मुगल काल में शुरू हुई थी जहां स्त्री और पुरुष दोनों ही अलग-अलग तरीके की सलवार कमीज पहनते थे. उस समय महिलाओं और पुरुषों के पहनावे में कोई खास फ’र्क नहीं हुआ करता था.
बस इस पर पहने जाने वाले आभूषणों से ही महिलाओं और पुरुषों के बीच में वेशभूषा का फ’र्क था. साथ ही महिलाएं स’लवार का दुपट्टा सर पर ओढ़ती थी जबकि पुरुष इसे कंधे पर रखते थे. कई बार पुरुष बिना दुपट्टे वाले सलवार सूट के प्रकार के कपड़े भी पहना करते थे.
लेकिन उस समय यह ज्यादातर मल’मल सिल्क और वेलवेट जैसे कपड़ों से बनाये जाते थे. जो एक प्रकार से महंगा सौदा था और हर कोई इसे नहीं खरीद सकता था. मु’गल काल में इसके कई प्रकार प्रचलित हुए जिसमें सबसे ज्यादा लोकप्रिय अ’नारकली सूट हुआ.
अनारकली सूट ही मुग़ल दरबारी और शाही परिवारों में सबसे लोकप्रिय कपड़ों में से एक था. जिसके बाद अनारकली सूट और पॉपुलर हो गया और इसे हर शाही परिवार और बड़े फंक्शन में पहना जाता था. समय के साथ इसमें कई बड़े बदलाव आए और एक वक्त ऐसा भी आया जब सलवार कमीज पर कोट पहनने का प्रचलन भी आ गया था.